अंधेरी रात
ये अंधेरी रात मुझें खूबसूरत क्यों लगती है
क्योंकि ये वो रातें है
जिसमें ना सिर्फ़ मैंने ख़ुद को जाना
बल्कि तुम्हें भी जानने की कोशिश की ।
ये रात और अंधेरा पसंद है मुझें
क्योंकि एकांत में सिर्फ़ और सिर्फ़
तुम्हें सोचा जा सके और बाकी
संसार आंखों के सामने नज़र ही न आए
ये रात इसलिए भी ख़ास है
ताकि इन रातों में कुछ तुम्हारी
बातें लिखी जा सके और किसी
को ख़बर भी न पहुच पाए बिना
किसी शोरगुल के वो पन्ने पलट सके
मैं हर दिन बस यही सोचता हूं
कि ये रात फिर तुम्हारी जिक्र करेगा
और इक और कविता लिखी जाएगी
सिर्फ़ तुम्हारे लिए ।
वैसे अंधेरा और ये उदासी काफ़ी है
मेरी कविता को शब्द में ढालने के लिए
लेकिन फिर भी तुम्हें लिखने के लिए
इन रातों का सहारा लेना ही पड़ता है
ताकि लिख सके एक कविता
सिर्फ़ तुम्हारे लिए ।
-हसीब अनवर