अंधा कानून
कानून वही पर ध्वस्त हुआ ।
अपराधी जब अंजाम मे मस्त हुआ ।
निर्दोषो को पकड़कर सलाखो के पीछे धकेल दिए ।
लेकिन जिससे खतरा था उन्हे ही अकेले मे छोड़ दिए ।
इंसान को डर है शेर से इंसान खुद ही पिजङा मे न बंद हो ।
अच्छा तो तब होता जब शेर ( अपराधी ) पिंजरे मे बंद हो इंसान बेखौफ हो ।
दीया जलेगा तूफानो मे भी है उसके अंदर वो क्षमता ।
दूर कर देगा वो तम को साफ झलकेगी वो भव्यता ।
हम निर्दोष है भले ही हम खामोश है ।
निर्दोष ही मारे जाते वही खून से लस्तफस्त हुआ ।
कानून वही पर ध्वस्त हुआ ।
जहां अपराधी अंजाम मे मस्त हुआ ।
??Rj Anand Prajapati ??