अंधविश्वासों पे क्यूँ विश्वास होना चाहिये
अंधविश्वासों पे क्यूँ विश्वास होना चाहिये
अपनी ताकत का हमें अहसास होना चाहिये
यादों को इतना हमारे पास होना चाहिये
दूरियों का भी नहीं आभास होना चाहिये
मार मन अपना कभी भी ज़िन्दगी जीना नहीं
स्वयं से रिश्ता हमारा खास होना चाहिये
बाहरी संसार में मौसम बदलते ही रहें
दिल में पूरे साल पर मधुमास होना चाहिये
हो भले हालात कितने भी हमारे ही विषम
पर ऋणात्मक सोच का निष्कास होना चाहिये
टूट हम जाएँ न गम से ही कहीं देखो कभी
ज़िन्दगी में हास औ परिहास होना चाहिये
माफ़ करने से बड़ा इंसान होता ‘अर्चना ‘
इसलिए दिल का बड़ा बस व्यास होना चाहिए
16-11-2015
अर्चना गुप्ता