” अंदाज पंक्षीओं का “
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल”
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हम उमुक्त
गगन के बंजारे हैं ,
पंखों के सहारे
नभ में उड़ते हैं !
हमें सीमाओं ने
ना रोक सका ,
स्वक्षंद बने
आकाश को चुमते हैं !!
शासन सत्ता से
हमको क्या लेना ,
हमको अम्बर
की जागीर मिली !
कोई हमको माने
चाहे ना माने ,
प्यार से रहने
की तासीर मिली !!
हम सब मिलजुल
कर रहते हैं ,
हम झुंडों में ही
रहकर उड़ते हैं !
एक दुसरे के
अनुगामी बनकर ,
मंजिल को
आसान बना जाते हैं !!
हमें बंदिश कभी
ना रोक सकी ,
मंदिर ,मस्जिद ,
गुरूद्वारे जाने को !
जाति ,धर्म ,
मजहब की दीवारें भी ,
विचलित ना
किया हम सारे को !!
आरक्षण की बातों
से क्या मतलब ?
हम झूठे बादे
कभी भी करते नहीं !
भला सपनों के
महल में क्यों जाएँ ?
जब झूठे नेता
हमारे बीच रहते नहीं !!
” नागरिकता कानून ”
से हम नहीं डरें,
हम खुद मालिक
कानून के निर्माता !
गाँव ,शहर ,
देश -विदेशों घुमने का ,
सौभाग्य हम
सबको दिया विधाता !!
बस कुछ बातें
हमको भी खलती हैं ,
कार्बन उत्शार्जन
से हम डरते हैं !
विकास के नेपथ्य में
छुप -छुप कर ,
हमारे आशियाने को ये मिटाते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका