*”अंतर्मुखी बहिर्मुखी “*
“अंतर्मुखी बहिर्मुखी”
“नदियाँ”
नदियाँ पहाड़ों चट्टानों से टकराकर ,
बाधाओं को पार कर अंतर्मुखी हो जाती।
इठलाती बलखाती ,तेज धाराओं में बहते हुए बहिर्मुखी हो जाती।
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प्रकृति का वरदान कलकल छलकती,
शुद्ध जलधारा अंतर्मुखी बन जाती।
नदियाँ तेज धाराओं में जब उफनती ,
रौद्र रूप धारण कर बहिर्मुखी बन जाती।
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गंगोत्री ,यमुनोत्री, नर्मदेश्वर ,देव तुल्य पूज्यनीय अंतर्मुखी कहलाती।
सुनामी लहरों बाढ़ ,प्राकृतिक आपदाओं में बहिर्मुखी कहलाती।
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शशिकला व्यास✍