अंग्रेजी टास्क
अंग्रेजी टास्क
गौरव और रचना की सगाई को हुए ढाई बरस हो चुके थे । जब गौरव बी.ए. प्रथम वर्ष प्रथम श्रेणी में पास कर चुका था । रचना ने कक्षा पांचवी के बाद से ही पढ़ाई छोड़ दी थी । क्योंकि उसके पिताजी के पैर में लकवा हो गया था । घर में सबसे बड़ी लड़की होने के कारण सारी जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई ।
सामाजिक रीति के अनुसार गौरव और रचना के परिजनों ने बचपन से ही दोनों का रिश्ता पक्का कर दिया था । सगाई के बाद गौरव ने रचना से स्नातक पूर्ण हो जाने तक का समय मांगा सो रचना के लिए तो गौरव की खुशी में ही उसकी भी खुशी थी । दोनों ने स्नातक पूर्ण हो जाने के बाद विवाह करने का फैसला किया ।
गौरव को हमेशा उनके दोस्त और शुभचिंतक बहुत ताने मारते रहते थे कि ‘तेरा सारा ज्ञान कुछ काम का नही जो तूने इतने पढ़ने, लिखने के बाद भी एक अनपढ़, कम पढ़ी लिखी लड़की से विवाह कर रहा है, तुझे इसके अलावा कोई और नही मिली थी क्या, भाई तुम ग्रेजुएट हो यार अपने स्तर की लड़की देखना था’ इत्यादि ताने उसे रोज सुनने पड़ते थे । बेचारा गौरव सबको कैसे समझाता कि विवाह करने के लिए किसी योग्यता की जरूरत नही वरण एक दूसरे के प्रति समझ, आदर व आपसी सामंजस्य का होना आवश्यक है ।
विवाह के बाद गौरव ने अपने सभी मित्रो के लिए एक होटल में विशेष रिसेप्शन रखा था । सभी मित्रो ने आमंत्रण स्वीकार कर लिए क्योंकि उन्हें गौरव को ताने मारने में मजा जो आता था । सभी ने योजना बना ली कि आज गौरव के मजे लेने में और मजा आएगा क्योंकि उसकी अनपढ़ पत्नी जो साथ मे होगी ।
नियत समय पर सभी लोग बताए गए होटल में आ गए । पहले सभी ने खाना खाया जिसके बाद गौरव से सभी ने भाभीजी से परिचय करवाने के लिए जिद करने लगे । मित्र मंडली में से राजेश सामने आया और आगे हाथ बढ़ाते हुए कहा कि –
“हेल्लो भाभीजी माय सेल्फ राजेश एंड प्लीज़ टेल मी समथिंग अबाउट यु ”
“हेलो राजेश ….सॉरी… शेकिंग हैंड इज नॉट ए माय कल्चर, बट माय कल्चर इज टू बी नमस्ते बाय एडिंग बोथ हैंड्स (हाथ मिलाना मेरी संस्कृति नही है बल्कि मेरी संस्कृति दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते करना है।)” रचना ने तपाक से राजेश को अंग्रेजी भाषा मे ही जवाब दिया ।
ये सुनकर वहाँ सन्नाटा पसर गया, सभी के मुँह लटक गये । सभी के चेहरे देखने लायक थे । जहाँ सभी लोग गौरव की ठिठोली करने से नही रुकते थे किसी के पास भी कहने के लिए कोई शब्द ही नही बचा था ।
आज गौरव ने सभी से अपने अपमान का बदला कुछ ऐसे लिया जो उसकी जिंदगी में एक अमिट यादगार मिसाल बन गया । आज गौरव को आभास हुआ कि उसने रचना को अपना जीवनसाथी चुनकर निंदात्मक नही बल्कि सही फैसला लिया और रचना ने भी अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन कर गौरव को वाकई “गौरवशाली” पति बना दिया ।
दरअसल गौरव ने रचना को ढाई वर्ष तक मोबाइल फोन कॉल के जरिये सारी अंग्रेजी बोलने की कला सीखा दी थी । क्योंकि लोगो को और समाज को जवाब जो देना था । गौरव रचना को हर दिन कोई न कोई टास्क दिया करता था जिसे रचना को अनिवार्यतः पूरा ही करना पड़ता था । टास्क पूर्ण न होने पर वह रचना से बात नही करता था । इस कारण रचना को गौरव से मोबाइल पर बात करने के लिए टास्क पूरा ही करना पड़ता था ।
© गोविन्द उईके