Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2021 · 1 min read

پتھر میں شیشہ جڑا ہے

جگر دیکھ کتنا بڑا ہے
کہ پتھر میں شیشہ جڑا ہے

سدا غیر کی ہر خوشی کو
وہ اپنوں سے اکثر لڑا ہے

لہو سے کل جو تر بتر تھا
مسیحا وہ بن کر کھڑا ہے

ہمیں قد بڑھاکرخوشی ہے
مگر فکر میں وہ بڑا ہے

سلیقہ سے اس کو تراشو
ابھی تو یہ کچا گھڑا ہے

قدم لڑکھڑانے لگے ہیں
بلندی سے پالا پڑا ہے

وفا کا یہی اک سلا ہے
وہ صف میں اکیلا کھڑا ہے

کراے کے پیروں کےدم پر
کوئی آج ہم سے بڑا ہے

Language: Urdu
Tag: غزل
2 Likes · 4 Comments · 324 Views

You may also like these posts

Cyclone Situation
Cyclone Situation
Otteri Selvakumar
युग प्रवर्तक नारी!
युग प्रवर्तक नारी!
कविता झा ‘गीत’
पत्ते
पत्ते
Uttirna Dhar
*इश्क़ की फ़रियाद*
*इश्क़ की फ़रियाद*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*इन तीन पर कायम रहो*
*इन तीन पर कायम रहो*
Dushyant Kumar
सपनों की उड़ान
सपनों की उड़ान
meenu yadav
शीर्षक -क्यों तुमसे है प्रेम मुझे!
शीर्षक -क्यों तुमसे है प्रेम मुझे!
Sushma Singh
आधा अधूरा सा,थकान भरा तन,
आधा अधूरा सा,थकान भरा तन,
Seema gupta,Alwar
बचपन की मोहब्बत
बचपन की मोहब्बत
Surinder blackpen
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है
कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है
अंसार एटवी
इस दरिया के पानी में जब मिला,
इस दरिया के पानी में जब मिला,
Sahil Ahmad
मुहब्बत के मआनी मुझे आते ही नहीं,
मुहब्बत के मआनी मुझे आते ही नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
समय को समय देकर तो देखो, एक दिन सवालों के जवाब ये लाएगा,
समय को समय देकर तो देखो, एक दिन सवालों के जवाब ये लाएगा,
Manisha Manjari
महीनों और सालों की कोशिश से, उसकी यादों से निकल पाते हैं हम,
महीनों और सालों की कोशिश से, उसकी यादों से निकल पाते हैं हम,
Shikha Mishra
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
अभिमान
अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जीवन
जीवन
Ruchika Rai
बंधन यह अनुराग का
बंधन यह अनुराग का
Om Prakash Nautiyal
**ग़ज़ल: पापा के नाम**
**ग़ज़ल: पापा के नाम**
Dr Mukesh 'Aseemit'
बेसहारों को देख मस्ती में
बेसहारों को देख मस्ती में
Neeraj Mishra " नीर "
#एक_सबक़-
#एक_सबक़-
*प्रणय*
हर कोना गुलाबों सा ये महकाए हुए हैं
हर कोना गुलाबों सा ये महकाए हुए हैं
आकाश महेशपुरी
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
Mohan Pandey
बल से दुश्मन को मिटाने
बल से दुश्मन को मिटाने
Anil Mishra Prahari
स्वार्थी मनुष्य (लंबी कविता)
स्वार्थी मनुष्य (लंबी कविता)
SURYA PRAKASH SHARMA
इस शहर में.....
इस शहर में.....
sushil yadav
आज बाजार बन्द है
आज बाजार बन्द है
gurudeenverma198
Loading...