Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2021 · 1 min read

پتھر میں شیشہ جڑا ہے

جگر دیکھ کتنا بڑا ہے
کہ پتھر میں شیشہ جڑا ہے

سدا غیر کی ہر خوشی کو
وہ اپنوں سے اکثر لڑا ہے

لہو سے کل جو تر بتر تھا
مسیحا وہ بن کر کھڑا ہے

ہمیں قد بڑھاکرخوشی ہے
مگر فکر میں وہ بڑا ہے

سلیقہ سے اس کو تراشو
ابھی تو یہ کچا گھڑا ہے

قدم لڑکھڑانے لگے ہیں
بلندی سے پالا پڑا ہے

وفا کا یہی اک سلا ہے
وہ صف میں اکیلا کھڑا ہے

کراے کے پیروں کےدم پر
کوئی آج ہم سے بڑا ہے

Language: Urdu
Tag: غزل
2 Likes · 4 Comments · 314 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
व्याकरण कविता
व्याकरण कविता
Neelam Sharma
कुछ बाते बस बाते होती है
कुछ बाते बस बाते होती है
पूर्वार्थ
शांति का पढ़ाया पाठ,
शांति का पढ़ाया पाठ,
Ranjeet kumar patre
बांते
बांते
Punam Pande
तन्हाई से सीखा मैंने
तन्हाई से सीखा मैंने
Mohan Pandey
प्रकृति की सुंदरता देख पाओगे
प्रकृति की सुंदरता देख पाओगे
Sonam Puneet Dubey
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
"जमाने को"
Dr. Kishan tandon kranti
ईश्क में यार थोड़ा सब्र करो।
ईश्क में यार थोड़ा सब्र करो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
3569.💐 *पूर्णिका* 💐
3569.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
युग प्रवर्तक नारी!
युग प्रवर्तक नारी!
कविता झा ‘गीत’
पेड़ से कौन बाते करता है ?
पेड़ से कौन बाते करता है ?
Buddha Prakash
"जो सब ने कहा, जो जग ने कहा, वो आपने भी दोहरा दिया तो क्या ख
*प्रणय*
मां शारदे वंदना
मां शारदे वंदना
Neeraj Agarwal
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बड़े बड़े लेख लिखे जाते हैं महिला दिवस पर पुरुषों द्वारा।
बड़े बड़े लेख लिखे जाते हैं महिला दिवस पर पुरुषों द्वारा।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आसान नही सिर्फ सुनके किसी का किरदार आंकना
आसान नही सिर्फ सुनके किसी का किरदार आंकना
Kumar lalit
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
अमित
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
Befikr Lafz
फिर फिर गलत होने का
फिर फिर गलत होने का
Chitra Bisht
गिरगिट बदले रंग जब ,
गिरगिट बदले रंग जब ,
sushil sarna
ज्यों स्वाति बूंद को तरसता है प्यासा पपिहा ,
ज्यों स्वाति बूंद को तरसता है प्यासा पपिहा ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
अंदाजा था तुम्हें हमारी हद का
अंदाजा था तुम्हें हमारी हद का
©️ दामिनी नारायण सिंह
*अध्याय 5*
*अध्याय 5*
Ravi Prakash
****दोस्ती****
****दोस्ती****
Kavita Chouhan
तुझे नेकियों के मुँह से
तुझे नेकियों के मुँह से
Shweta Soni
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
Suryakant Dwivedi
जंग अहम की
जंग अहम की
Mamta Singh Devaa
भूखे हैं कुछ लोग !
भूखे हैं कुछ लोग !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...