Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2022 · 1 min read

??रिश्ते??

??रिश्ते??
किसको खबर मेरे आंशिया की
जो पल-पल बिखरे हैं मोतियों सी।

अपनों को खुश करने में,
सदा दिल दुखाया अपना,
जीवन में खुशियां तो
बन गई एक सपना ।

तुम ही मेरे राजदार हो
तुमने ही मेरी पीड़ा को जाना,
हर गम मेरे बांटे तुमने
हर वेदना को पहचाना।

ऐसे बिछड़े की ,एक जमाना गुजर गया
आंखें भी थक गई, इंतजार करते-करतें
पथिक का पथ जोहते-जोहते ,
ऐ दिल भी पथरा गया!!!

आंखों से कभी आंसू न निकले
वो हर खुशी दी तुमने
मेरे दिल के जज्बात को समझा,
खुदा ,रब अपना तुम्हें माना हमने??

सुषमा सिंह “उर्मि,,क

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 133 Views

Books from Sushma Singh

You may also like:
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
तेरी दहलीज़ तक
तेरी दहलीज़ तक
Surinder blackpen
गीत : मान जा रे मान जा रे…
गीत : मान जा रे मान जा रे…
शांतिलाल सोनी
कुछ बात करो, कुछ बात करो
कुछ बात करो, कुछ बात करो
Shyam Sundar Subramanian
इन्तेहा हो गयी
इन्तेहा हो गयी
shabina. Naaz
जगत का जंजाल-संसृति
जगत का जंजाल-संसृति
Shivraj Anand
हृद् कामना ....
हृद् कामना ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
"आत्म-मन्थन"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
About my first poem
About my first poem
ASHISH KUMAR SINGH
बेबाक
बेबाक
Satish Srijan
■ बोलते सितारे....
■ बोलते सितारे....
*Author प्रणय प्रभात*
मुक्ती
मुक्ती
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
शृंगार
शृंगार
Kamal Deependra Singh
मेरे मलिक तू
मेरे मलिक तू
gurudeenverma198
हमसाया
हमसाया
Manisha Manjari
🇮🇳 वतन पर जां फ़िदा करना 🇮🇳
🇮🇳 वतन पर जां फ़िदा करना 🇮🇳
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
बींसवीं गाँठ
बींसवीं गाँठ
Shashi Dhar Kumar
प्यासा_कबूतर
प्यासा_कबूतर
Shakil Alam
मूर्दों की बस्ती
मूर्दों की बस्ती
Shekhar Chandra Mitra
शिवाजी महाराज विदेशियों की दृष्टि में ?
शिवाजी महाराज विदेशियों की दृष्टि में ?
Pravesh Shinde
कितने दिलों को तोड़ती है कमबख्त फरवरी
कितने दिलों को तोड़ती है कमबख्त फरवरी
Vivek Pandey
टूटा हुआ दिल
टूटा हुआ दिल
Anamika Singh
💐प्रेम कौतुक-275💐
💐प्रेम कौतुक-275💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*सड़क छोड़ो, दरवाजे बनवाओ (हास्य व्यंग्य)*
*सड़क छोड़ो, दरवाजे बनवाओ (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
प्यार में
प्यार में
श्याम सिंह बिष्ट
डिजिटलीकरण
डिजिटलीकरण
Seema gupta,Alwar
सजनाँ बिदेशिया निठूर निर्मोहिया, अइले ना सजना बिदेशिया।
सजनाँ बिदेशिया निठूर निर्मोहिया, अइले ना सजना बिदेशिया।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
प्रेम की राख
प्रेम की राख
Buddha Prakash
रंगोत्सव की हार्दिक बधाई-
रंगोत्सव की हार्दिक बधाई-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ज़िंदगी, ज़िंदगी ही होती है
ज़िंदगी, ज़िंदगी ही होती है
Dr fauzia Naseem shad
Loading...