Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2022 · 1 min read

? जोर ज़बानी मस्तानी ?

डॉ अरुण कुमार शास्त्री? एक अबोध बालक ?अरुण अतृप्त

? जोर ज़बानी मस्तानी ?

गुपचुप गुपचुप आंख मिलाने
आते हैं दीवाने लोग
कैसे इनको मना करूँ मैं,
हैं कितने अनजाने लोग ।।

मेरे घर का पता चला जब
देहरी मेरी लांघ गये
तरह तरह के सम्बाद
सुना कर मंशा अपनी बता गये ।।

इनके मन की बात सुनी जब
कान हमारे पिघल गये
दबी दबी सी खवहिश इनकी
कानों में कह जाते लोग ।।

गुपचुप गुपचुप आंख मिलाने
आते हैं दीवाने लोग
कैसे इनको मना करूँ मैं, हैं
कितने अनजाने लोग ।।

कोई कहे खुद को दीवाना
कोई बताता है अन जाना
कोई कोई तो रूप का मेरे
बन बैठा देखो दीवाना ।।

कैसे इनको समझ सकूं मैं
कैसे मन की बात कहूँ मैं
उल्टी सुलटी मुझे पढ़ा कर
के जाते है बेगाने लोग ।।

गुपचुप गुपचुप आंख मिलाने
आते हैं दीवाने लोग
कैसे इनको मना करूँ मैं, हैं
कितने अनजाने लोग ।।

अभी अभी यौवन आया है
मुश्किल से दिन चार हुये
कैसे इनको ख़बर हुई है
कैसे इनको पता चला है ।।

अनजाने में भूल गई तो
हैं कितने ये सयाने लोग
उम्र न देखें जात न पूछें
सब के सब बतियाते लोग ।।

गुपचुप गुपचुप आंख मिलाने
आते हैं दीवाने लोग
कैसे इनको मना करूँ मैं, हैं
कितने अनजाने लोग ।।

————————————

1 Like · 1 Comment · 111 Views
You may also like:
कई राज मेरे मन में कैद में है
कई राज मेरे मन में कैद में है
कवि दीपक बवेजा
सूरज दादा छुट्टी पर (हास्य कविता)
सूरज दादा छुट्टी पर (हास्य कविता)
डॉ. शिव लहरी
ਅੱਜ ਮੇਰੇ ਲਫਜ਼ ਚੁੱਪ ਨੇ
ਅੱਜ ਮੇਰੇ ਲਫਜ਼ ਚੁੱਪ ਨੇ
rekha mohan
बदलाव
बदलाव
दशरथ रांकावत 'शक्ति'
बोलने से सब होता है
बोलने से सब होता है
Satish Srijan
गुमनाम
गुमनाम
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
सृष्टि रचयिता यंत्र अभियंता हो आप
सृष्टि रचयिता यंत्र अभियंता हो आप
Chaudhary Sonal
तुझे मतलूब थी वो रातें कभी
तुझे मतलूब थी वो रातें कभी
Manoj Kumar
जिंदगी
जिंदगी
Abhishek Pandey Abhi
शरीक-ए-ग़म
शरीक-ए-ग़म
Shyam Sundar Subramanian
दोगले मित्र
दोगले मित्र
अमरेश मिश्र 'सरल'
अपने पथ आगे बढ़े
अपने पथ आगे बढ़े
Vishnu Prasad 'panchotiya'
बाल्यकाल (मैथिली भाषा)
बाल्यकाल (मैथिली भाषा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
■ लघुकथा / प्रेस कॉन्फ्रेंस
■ लघुकथा / प्रेस कॉन्फ्रेंस
*Author प्रणय प्रभात*
कक्षा नवम् की शुरुआत
कक्षा नवम् की शुरुआत
Nishant prakhar
चंदा करवाचौथ का( गीत )
चंदा करवाचौथ का( गीत )
Ravi Prakash
काल के चक्रों ने भी, ऐसे यथार्थ दिखाए हैं।
काल के चक्रों ने भी, ऐसे यथार्थ दिखाए हैं।
Manisha Manjari
बुद्ध धाम
बुद्ध धाम
Buddha Prakash
मुद्दों की बात
मुद्दों की बात
Shekhar Chandra Mitra
मेरी सफर शायरी
मेरी सफर शायरी
Ankit Halke jha
पहाड़ का अस्तित्व - पहाड़ की नारी
पहाड़ का अस्तित्व - पहाड़ की नारी
श्याम सिंह बिष्ट
कोशिश कम न थी मुझे गिराने की,
कोशिश कम न थी मुझे गिराने की,
Vindhya Prakash Mishra
नया साल
नया साल
सुषमा मलिक "अदब"
वही दरिया के पार  करता  है
वही दरिया के पार करता है
Anil Mishra Prahari
दर्द जो आंखों से दिखने लगा है
दर्द जो आंखों से दिखने लगा है
Surinder blackpen
एक मुक्तक....
एक मुक्तक....
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐प्रेम कौतुक-388💐
💐प्रेम कौतुक-388💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
क्यों नहीं बदल सका मैं, यह शौक अपना
क्यों नहीं बदल सका मैं, यह शौक अपना
gurudeenverma198
हमको मालूम है
हमको मालूम है
Dr fauzia Naseem shad
Sukun usme kaha jisme teri jism ko paya hai
Sukun usme kaha jisme teri jism ko paya hai
Sakshi Tripathi
Loading...