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1 Jul 2022 · 1 min read

💐💐सुषुप्तयां ‘मैं’ इत्यस्य भासः न भवति💐💐

यस्मिन् रागः-द्वेषः स्त:-यः अधुना पर्यन्तं ‘वासुदेवः सर्वम्’ ज्ञातुं न शक्नोति।भक्तानां ‘राम-राम’ योगीनां ‘सोSहम्’ ज्ञानीनां ‘ॐ’ सन्ति।साधकस्य जीवनं एतादृशः स्यात् यतः एतस्य रूपं पश्यन् सर्वे प्रसन्नं भवन्ति।यथा-भगवन्तं पश्यन् सर्वे प्रसन्न भवन्ति।
‘हूँ’इति एषा सत्ता।सत्तापरमात्मनः स्वरूपं।त्रुटि: एषः स्यात् यत: ‘मैं’इतिं प्रति आकर्षणं भवति।’मैं’इतिं प्रति न आकर्षणं भवति तु ‘हूँ’ इति उपस्थित:।’मैं’इतिं मुख्यमत्वा ‘है’इत्येन विमुख: भवति तो एतेन प्रमाद: कथ्यते।प्रमाद: एव मृत्यु।’मैं’इति जगत धारयति।अस्माभि: सह ‘मैं’ इत्यस्य सम्बन्ध: न,तदा ‘मैं’इत्यस्य त्याग: भवति।सुषुप्तयां ‘मैं’ इत्यस्य भासः न भवति-एषः सर्वेषां अनुभवस्य वार्ता:।

©®अभिषेक:पाराशरः

Language: Sanskrit
93 Views
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