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3 May 2020 · 1 min read

【【{{{{कुछ भी लिखलो}}}}】】

चारों तरफ तो फैला है रंग सियाही का,
कुछ भी लिख लो कोई रंग उठा कर.

लिखना है तो कोई मुद्दा आपसी नफरत
पर लिखलो,कोई आज गया है शहर
जलाकर।

नफरत नही लिखनी तो मोहब्बत ही लिख लो,
आशिक़ गया है अपने महबूब को ठुकराकर।

मोहब्बत नही तो लालच ही लिख लो,नेता जी
अभी निकले हैं देश को चुराकर।

चोरी नही तो सियासत ही लिखलो,आज ही
गया है कोई हिंदू और मुस्लिम को भड़काकर.

थोड़ा इनकी शान भी लिखलो,कैसे मुस्करा
रहे हैं मंदिर मस्जिद जलाकर।

सियासत नही तो गरीबों की बेबसी लिखलो,
देखो तो जरा हस्पताल,कचहरी के दो चार
चक्र लगाकर।

कितना सब तो बिखरा पढ़ा, गरीब बाप मजदूरी
पे गया है,चूल्हे को ताला लगाकर.

कही बेच रही अपना जिस्म कोई मजबूर औरत,
अपने बच्चे के पेट की खातिर.
कोई लूट रहा शैतान किसी बेटी को,अपनी हवस
में आकर।

कितने रंग तो मिल रहे है एक कलम का
कारोबार चलाने को,तुम भी हो जाओ
मशहूर कोई अखबार बनाकर।

Language: Hindi
Tag: कविता
7 Likes · 4 Comments · 314 Views
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