✍️इरादे हो तूफाँ के✍️

✍️इरादे हो तूफाँ के✍️
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कब तक आसमां को देखकर चलते रहोगे
यूँही ज़मी पर पत्थरो की ठोकरे खाते रहोगे
रख हौसले परवाज़ से जो बादलों के पार हो
कब तक अरमानो के पंखों को कतराते रहोगे
साहस से बड़ी उम्र कहा थी सिकंदर की लंबी
कब तक जित का मिला वरदान ठुकराते रहोगे
मुनासिब नहीं रास्तों में मौसम की छाँव मिले
कब तक कड़ी धूप से काया को बचाते रहोगे
जीवन के कठिन सुर को लक्ष्य का रियाज दो
वर्ना जिंदगी के बेसुरे ताल पर यूँ नाचते रहोगे
वक़्त के आँखों में आँखे डालकर आगे बढ़ोगे
तो मुश्किल हालातों में भी मंझिल को छूते रहोगे
‘अशांत’मन के सागर में उठती है आशा की लहरे
इरादे हो तूफाँ के तो ख़ुशी की कश्ती चलाते रहोगे
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✍️”अशांत”शेखर✍️
02/07/2022