Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Dec 2022 · 1 min read

☀️✳️मैं अकेला ही रहूँगा,तुम न आना,तुम न आना✳️☀️

##मणिकर्णिका##
##ऊटी,नैनीताल,मनाली जा रही है बौनी##
##न न मेरियाना गर्त में चली जा,हनीमून मनाने##
##मेरा खुफिया तेरी ससुराल में भी है##
##हे बौनी-बौना,का हाल चाल सै##

मैं अकेला ही रहूँगा,तुम न आना,तुम न आना,
मैं अकेला ही रहूँगा, तुम न आना,तुम न आना,
दायरे ऐसे थे कभी मिल न सके,
मुश्किल न थी, उन्हें छू न सके,
कुछ सवाल थे,जो मन में रहे,
उनके कहने पर भी, उनसे कह न सके,
मेरा दिल खाली ही सही, तुम न समाना,
मैं अकेला ही रहूँगा,तुम न आना,तुम न आना।।1।।
गोशे की बात थी क्या? कोई सादा,
दोस्त समझकर किया था कोई वादा,
ये दिल का मकाँ है मेरा,बेख़ुदी से भरा,
छोड़कर हमें वो हमें दे गए दुःख और भी ज़्यादा,
मेरी गलियों में तुम न आना न जाना,
मैं अकेला ही रहूँगा तुम न आना, तुम न आना।।2।।
तस्कीन थी मेरी राहों पर तुझे देखा तो,
सिमटी दुनिया हुई बादल जैसी,
कभी कुछ सोचा तुमने मेरे लिए,
वफ़ा के वास्ते दी कोई निशानी कैसी,
छोड़ गए मेरी दुनिया,क्यों कहें साथ निभाना,
मैं अकेला ही रहूँगा तुम न आना, तुम न आना।।3।।
सितारों की चमक है सूरज से,
कोई सूरत न मिलेगी, तेरी सूरत से,
किसी ज़ोर की बात पर शक था कोई,
उसे बदलते तेरे संग तेरी जरूरत से,
मेरे लिए अब मिट्टी का गुलाब भी न बनाना,
मैं अकेला ही रहूँगा,तुम न आना, तुम न आना।।4।।

तस्कीन=साँत्वना, ढाढस, तसल्ली
गोशे-privacy

©®अभिषेक: पाराशरः

Language: Hindi
Tag: गीत
44 Views
You may also like:
एकता
एकता
Aditya Raj
सोच का अपना दायरा देखो
सोच का अपना दायरा देखो
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
Vandana Namdev
जीवन की अनसुलझी राहें !!!
जीवन की अनसुलझी राहें !!!
Shyam kumar kolare
कुज्रा-कुजर्नी ( #लोकमैथिली_हाइकु)
कुज्रा-कुजर्नी ( #लोकमैथिली_हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मुक्तक
मुक्तक
Arvind trivedi
"भीमसार"
Dushyant Kumar
ਕਿਉਂ ਰੋਵਾਂ
ਕਿਉਂ ਰੋਵਾਂ
Surinder blackpen
दो पल की जिन्दगी मिली ,
दो पल की जिन्दगी मिली ,
Nishant prakhar
आस्तीक भाग -नौ
आस्तीक भाग -नौ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चौपाई छंद में मान्य 16 मात्रा वाले दस छंद {सूक्ष्म अंतर से
चौपाई छंद में मान्य 16 मात्रा वाले दस छंद {सूक्ष्म...
Subhash Singhai
कुछ मुख्तलिफ सा लिखूं।
कुछ मुख्तलिफ सा लिखूं।
Taj Mohammad
बेइंतहा इश्क़
बेइंतहा इश्क़
Shekhar Chandra Mitra
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
■ जीवन सार
■ जीवन सार
*Author प्रणय प्रभात*
तुमसे उम्मीद थी कि
तुमसे उम्मीद थी कि
gurudeenverma198
✍️खामोश लबों को ✍️
✍️खामोश लबों को ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
अपना नैनीताल...
अपना नैनीताल...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"मां बाप"
Dr Meenu Poonia
प्रेम रस रिमझिम बरस
प्रेम रस रिमझिम बरस
श्री रमण 'श्रीपद्'
"जाति"
Dr. Kishan tandon kranti
वो कभी दूर तो कभी पास थी
वो कभी दूर तो कभी पास थी
'अशांत' शेखर
भय
भय
Shyam Sundar Subramanian
जिन्दगी है की अब सम्हाली ही नहीं जाती है ।
जिन्दगी है की अब सम्हाली ही नहीं जाती है ।
Buddha Prakash
प्रवाह में रहो
प्रवाह में रहो
Rashmi Sanjay
*धनवानों का काव्य - गुरु बनना आसान नहीं होता*
*धनवानों का काव्य - गुरु बनना आसान नहीं होता*
Ravi Prakash
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी...
Manisha Manjari
💐संसारस्य प्राप्ति: अप्राप्तस्य प्राप्ति:💐
💐संसारस्य प्राप्ति: अप्राप्तस्य प्राप्ति:💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तेरा पिता हूँ
तेरा पिता हूँ
Satish Srijan
Loading...