बो बहाता नहींं हैं वो पी लेता हैं दर्द में आंसुओ के समुद्र क
*साप्ताहिक अखबार (कुंडलिया)*
मैं जब जब भी प्यार से,लेता उन्हें निहार
सूरज अंकल जलते जलते देखो इक दिन जल मत जाना।
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
ये अमावस की रात तो गुजर जाएगी
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिल में तेरी तस्वीर को सजा रखा है -
** मैं शब्द-शिल्पी हूं **