*झूठ-मूठ जो मन में आए, कहना अच्छी बात नहीं (हिंदी गजल)*
मैं मेरी कहानी और मेरी स्टेटस सब नहीं समझ पाते और जो समझ पात
मां का आंचल और पिता प्रेम
चले आते हैं उलटे पाँव कई मंज़िलों से हम
मेरी ज़रूरतें हैं अजब सी बड़ी, कि मैं,
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
लाभ की इच्छा से ही लोभ का जन्म होता है।
जिसने दिया था दिल भी वो उसके कभी न थे।
उसकी इबादत आखिरकार रंग ले ही आई,