■ विशेष_आलेख / कूनो की धरा किसकी…?

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■ “कूनो” की पावन भूमि ऋषि कण्व की या फिर कणाद की….?
◆ प्रधानमंत्री चाहें तो संभव रहस्योद्घाटन
◆ “कूनो” के नाम मे छिपा एक अबूझ रहस्य
◆ विशद शोध ला सकता है बड़ा सच सामने
【प्रणय प्रभात / श्योपुर】
समय सुयोगवश
वैश्विक मानचित्र पर अनूठी पहचान बनाने जा रहे “कूनो राष्ट्रीय वन्यजीव अभ्यारण्य” को ले कर आज कौतुहल का वातावरण बना हुआ है।अपने जन्मदिवस (17 सितम्बर) पर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी के शुभागमन ने इस क्षेत्र की ओर पूरी दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया है। दुर्लभ प्रजाति के एशियाई सिंहों के दूसरे घर के रूप में विकसित व विस्तारित संरक्षित उद्यान में अफ्रीकी देश नामीबिया के चीतों को लाने और बसाने की प्रक्रिया विकास की बयार का अग्रिम संकेत दे रही है। धरातल के साथ आजीविका के अवसरों का विकास लगभग नियत है। इस विकास पर अंचल व रहवासियों के तीव्रगामी विकास की सुखद संभावनाएं बलवती बनी हुई हैं। ऐसे मुखर और प्रखर परिवेश में यदि कोई मौन है तो वह है “कूनो नदी।” जो अपनी एक शाश्वत पहचान के लिए आज भी लालायित प्रतीत होती है। मनमोहक परिदृश्यों के बीच शांत भाव से प्रवाहित कूनो को आज भी खोज है अपने उस सनातन परिचय की, जो अतीत की अंतहीन गहराई में कहीं अंतर्निहित है। अपने नामकरण से लेकर चिरंतन अस्तित्व तक से साक्षात को व्यग्र कूनो जानना चाहती है कि उसका सरोकार किस से रहा? अपने जप-तप, ज्ञान, धर्म और आध्यात्म के आलोक से किस मनीषी ने उसके तटों को आलोकित किया? किसने उसकी गोद में लोकमंगल के लिए हज़ारों वर्ष साधना की? किसने यहां के निस्तब्ध वातावरण में आकर्षण व अनुभूति के अद्भुत रंग भरे? क्या महर्षि “कण्व’ या “कणाद” में से किसी एक की चरण-रज से यह अंचल सुरभित व सुदीप्त हुआ? जिसकी परिणति इस नदी या ऋषि-प्रवर के नामकरण के रूप में हुई। आवश्यकता पर्यटन विकास के समांतर एक पृथक अन्वेषण की है। जो परमं सत्य को उद्घाटित कर नूतन संभावनाओं के एक नवीन युग का शंखनाद कर सके।
★ तर्क जो देते हैं चिंतन को आधार……
सम्पूर्ण सृष्टि में अलौकिक इस धरा-धाम का कोई भाग ऋषि परम्परा और प्रभाव से अछूता नहीं। निर्जन से निर्जन, सुरम्य से सुरम्य स्थल ऋषि अवतरण व साधना के साक्षी रहे हैं। पर्वत श्रृंखलाओं, गिरि कंदराओं से लेकर वन, उपवन, सरिता, सागर सभी का सरोकार किसी न किसी महर्षि या मनीषी से अवश्य रहा है। इसकी पुष्टि अनादिकाल व आदिकाल से होती आई है। ईश्वर-प्रदत्त नैसर्गिक संरचनाओं और महान संतों में साम्य के प्रमाणों से सद्ग्रन्थ भरे पड़े हैं। जो महामानव और महान क्षेत्रों के सह-अस्तित्व के सच को प्रमाणित करते आए हैं। लोकहितैषी भूमिका और सद्गुणों ने प्रकृति के मूलाधारों व युगदृष्टा ऋषियों को परस्पर पूरक व पर्याय भी सिद्ध किया है।
★ सद्ग्रन्थों व सनातन मान्यताओं का सम्बल…..
अनगिनत स्थलों ने अपने प्रभाव से अनेकों संतों के तप को सुपोषित किया है। वहीं असंख्य साधुपुरुषों ने अनेकानेक स्थलों को अपने सुकृत्यों से पावन पहचान देते हुए प्रकृति ऋण से उऋण होने में अभूतपूर्व व अविस्मरणीय सफलता अर्जित की है। जिनसे जुड़े कथानक पुरातन काल से जनसमाज में प्रचलित व जनमानस में संचारित हैं। ऐसे में एक बड़ा व गंभीर प्रश्न “कूनो” नदी व उसके प्रभाव से अभिसिंचित एक विशाल क्षेत्र की महत्ता को लेकर खड़ा हो रहा है।
★ चरितार्थ होगी उक्ति : मिलेंगे नए आयाम…..
प्रसंग में है इसी नदी के तट पर अरावली पर्वत मेखला की तलहटी का सघन किंतु रमणीय वन क्षेत्र। जो वन्य जीव संरक्षण के लिए निर्मित और विकसित “कूनो राष्ट्रीय वन्य प्राणी उद्यान” के रूप में विश्व-पटल पर प्रतिष्ठा का केंद्र बन कर उभरा है। निकट भविष्य में समूची दुनिया के लिए एक विश्व-स्तरीय पर्यटन केंद्र बनने जा रहे क्षेत्र को धार्मिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक पहचान भी मिल सकती है। सुनियोजित शोध के बाद सामने आने वाला निष्कर्ष “सोने पर सुहागा” वाली उक्ति को चरितार्थ कर सकता है। जिससे अंचल का महत्व द्विगुणित होना सुनिश्चित माना जा सकता है। जो सम्पूर्ण प्राचीन क्षेत्र के विकास को और भी नए व समीचीन आयाम देने वाला होगा। धर्म व आध्यात्म को लेकर अभिरुचि व समर्पण का भाव रखने वाले हमारे प्रधानमंत्री महोदय इस दृष्टिकोण को संज्ञान में ले सकें तो सत्यान्वेषण व रहस्योद्घाटन सहज संभव है।
★ दिशाबोध के लिए विशेष कृतज्ञता……
सकारात्मक सोच और रचनात्मक भाव से लिखित यह आलेख एक दिशाबोध की देंन है। एक संकेत पर गहन मनोयोग के साथ चिंतन का साकार रूप भी। कूनो से सम्बद्ध यह विषय चंद वर्ष पूर्व तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्री सुनील पांडेय ने सहज चर्चा के बीच सुझाया था। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी होने के साथ-साथ एक विचारवान व अध्ययनशील मित्रवत अग्रज श्री पांडेय के सशक्त संकेत के प्रति कृतज्ञता के भाव ज्ञापित करता हूँ। जिनका प्रेरक व प्रोत्साहक सान्निध्य मेरी वैचारिक ऊर्जा को एक दिशा देने वाला रहा।
संपर्क-
“श्री कृष्ण कृपा”
वार्ड-03, श्योपुर (मप्र)
मोबा. 8959493240