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18 Dec 2022 · 1 min read

■ मुक्तक / ख़ाली और भरा…

😢 अहसास की तह तक पहुँच पाने वालों के लिए आज का क़तआ (मुक्तक) :–
【प्रणय प्रभात】
“तसव्वुर तो मेरे अपने हैं, उनमें,
जो ना हो पाए, होते देखता हूँ।
मैं खाली हूँ, भुला देने की ख़ातिर,
भरे बादल को, रोते देखता हूँ।।”—-

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