Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Dec 2022 · 1 min read

■ बेशर्म सियासत

#मन्तव्य-
प्रदर्शित ऐसा करते हैं मानो ख़ुद ही दूध के धुले हैं। बाक़ी सब कीचड़ में लथपथ हैं। जबकि असलियत यह है कि आज के दौर में भरमार जयचंदों की है।
#प्रणय_प्रभात

Language: Hindi
1 Like · 34 Views
You may also like:
त्याग
त्याग
मनोज कर्ण
किस बात तुम्हें अभिमान है प्राणी!
किस बात तुम्हें अभिमान है प्राणी!
Anamika Singh
मार न डाले जुदाई
मार न डाले जुदाई
Shekhar Chandra Mitra
नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
लो सत्ता बिक गई
लो सत्ता बिक गई
साहित्य गौरव
Mere hisse me ,
Mere hisse me ,
Sakshi Tripathi
■ मंगल कामनाएं
■ मंगल कामनाएं
*Author प्रणय प्रभात*
सच मेरा शक आज, सच में बदल गया
सच मेरा शक आज, सच में बदल गया
gurudeenverma198
सर्दी का मौसम
सर्दी का मौसम
Ram Krishan Rastogi
वर्षा ऋतु
वर्षा ऋतु
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
प्रेम आनंद
प्रेम आनंद
Buddha Prakash
ज़िंदगीभर का साथ
ज़िंदगीभर का साथ
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
VINOD KUMAR CHAUHAN
"लोग क्या कहेंगे?"
Pravesh Shinde
कुछ इस तरह से
कुछ इस तरह से
Dr fauzia Naseem shad
*जेलों में जाते नेताजी 【हास्य-व्यंग्य गीतिका】*
*जेलों में जाते नेताजी 【हास्य-व्यंग्य गीतिका】*
Ravi Prakash
पौष की सर्दी/
पौष की सर्दी/
जगदीश शर्मा सहज
माना सच है वो कमजर्फ कमीन बहुत  है।
माना सच है वो कमजर्फ कमीन बहुत है।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
अंध विश्वास - मानवता शर्मसार
अंध विश्वास - मानवता शर्मसार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हम हैं गुलाम ए मुस्तफा दुनिया फिजूल है।
हम हैं गुलाम ए मुस्तफा दुनिया फिजूल है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मेरे गीत जामाना गायेगा
मेरे गीत जामाना गायेगा
Satish Srijan
प्रतीक्षित
प्रतीक्षित
Shiva Awasthi
वक़्त ने करवट क्या बदली...!
वक़्त ने करवट क्या बदली...!
Dr. Pratibha Mahi
आंखें
आंखें
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
ਸਾਥੋਂ ਇਬਾਦਤ ਕਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ
ਸਾਥੋਂ ਇਬਾਦਤ ਕਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ
Surinder blackpen
భగ భగ మండే భగత్ సింగ్ రా!
భగ భగ మండే భగత్ సింగ్ రా!
विजय कुमार 'विजय'
अपने पथ आगे बढ़े
अपने पथ आगे बढ़े
Vishnu Prasad 'panchotiya'
हकीकत से रूबरू होता क्यों नहीं
हकीकत से रूबरू होता क्यों नहीं
कवि दीपक बवेजा
गुजारे गए कुछ खुशी के पल,
गुजारे गए कुछ खुशी के पल,
Arun B Jain
उठो युवा तुम उठो ऐसे/Uthao youa tum uthao aise
उठो युवा तुम उठो ऐसे/Uthao youa tum uthao aise
Shivraj Anand
Loading...