Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Dec 2022 · 1 min read

■ नैसर्गिक न्याय

#लघुकथा-
■ मकड़ी की भूख….
【प्रणय प्रभात】
उसकी भुझ एक एक कर सबको निगलती जा रही थी। उसका बुना जाल लगातार बढ़ता जा रहा था। जो एक दिन उसे ही निगल गया। शायद यही नैसर्गिक न्याय था।

Language: Hindi
1 Like · 48 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
Jay Dewangan
किए जा सितमगर सितम मगर....
किए जा सितमगर सितम मगर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
भरोसा प्यार उम्र भर का,
भरोसा प्यार उम्र भर का,
Satish Srijan
रात के अंधेरे में नसीब आजमाना ठीक नहीं है
रात के अंधेरे में नसीब आजमाना ठीक नहीं है
कवि दीपक बवेजा
" तुम खुशियाँ खरीद लेना "
Aarti sirsat
लोकतंत्र का मंत्र
लोकतंत्र का मंत्र
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
कब मेरे मालिक आएंगे!
कब मेरे मालिक आएंगे!
Kuldeep mishra (KD)
उलझन ज़रूरी है🖇️
उलझन ज़रूरी है🖇️
Skanda Joshi
तुम मेरे बादल हो, मै तुम्हारी काली घटा हूं
तुम मेरे बादल हो, मै तुम्हारी काली घटा हूं
Ram Krishan Rastogi
एक अबोध बालक
एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आदमी की गाथा
आदमी की गाथा
कृष्ण मलिक अम्बाला
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो.....
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो.....
Neelam Sharma
माफ़ कर दो दीवाने को
माफ़ कर दो दीवाने को
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मेरा बचपन
मेरा बचपन
Ankita Patel
भाई बहन का प्रेम
भाई बहन का प्रेम
Vijay kannauje
आजादी का
आजादी का "अमृत महोत्सव"
राकेश चौरसिया
ज़ब्त की जिसमें
ज़ब्त की जिसमें
Dr fauzia Naseem shad
"चाहत " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
यहाँ कुशलता रेंगती, वहाँ बताएँ मित्र (कुंडलिया)
यहाँ कुशलता रेंगती, वहाँ बताएँ मित्र (कुंडलिया)
Ravi Prakash
कभी कभी मन करता है या दया आती है और लगता है कि तुम्हे खूदकी औकात नापने का मौका द
कभी कभी मन करता है या दया आती है और लगता है कि तुम्हे खूदकी औकात नापने का मौका द
नव लेखिका
पंखों को मेरे उड़ान दे दो
पंखों को मेरे उड़ान दे दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
2234.
2234.
Dr.Khedu Bharti
अश्लील साहित्य
अश्लील साहित्य
Sanjay
कोई तो कोहरा हटा दे मेरे रास्ते का,
कोई तो कोहरा हटा दे मेरे रास्ते का,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
जिंदगी है एक सफर,,
जिंदगी है एक सफर,,
Taj Mohammad
बुरा समय था
बुरा समय था
Swami Ganganiya
श्रोता के जूते
श्रोता के जूते
नन्दलाल सिंह 'कांतिपति'
करते तो ख़ुद कुछ नहीं, टांग खींचना काम
करते तो ख़ुद कुछ नहीं, टांग खींचना काम
Dr Archana Gupta
"अक्ल बेचारा"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...