■ देशी_ग़ज़ल / दरबारी_होगा

#देशी_ग़ज़ल
■ अखबारी_होगा।
【प्रणय प्रभात】
◆ जो बन्दा दरबारी होगा।
वो औरों से भारी होगा।।
◆ बेशक़ खेल दिखाए जमूरा।
डमरू-दार मदारी होगा।।
◆ कब होंगे अभिमन्यु सुरक्षित।
कब तक जयद्रथ भारी होगा??
◆ वैद्य सुषेण जिसे समझे हो।
फिर साबित बीमारी होगा।।
◆ कृपा जताने का आदी हो।
वो काहे आभारी होगा।।
◆ अगले दिन रद्दी हो जाए।
वो दावा अख़बारी होगा।।
【सामयिक संदर्भों पर】