Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2023 · 2 min read

■ जीवन-दर्शन…

■ परिस्थिति की अधीनता मात्र “आत्म-समर्पण”
★ न बनें भीरु और पलायनवादी
【प्रणय प्रभात】
सब कुछ परिस्थिति के अधीन बताना सोच का एक पुराना हिस्सा है। जिससे आज भी 90 प्रतिशत से अधिक लोग प्रेरित व प्रभावित हैं। सम्भवतः आत्मबल, इच्छाशक्ति व समयोचित चिंतन, मनन के अभाव में। कारण जीवन की आपा-धापी से कहीं अधिक समय की कमी है। जो समय-प्रबंधन से अनवगिज्ञता की देन है। साढ़े तीन दशक तक सार्वजनिक जीवन की पारी खेलने के बाद मेरा वैतक्तिक मत उक्त सोच का विरोधी है। मेरा मानना है कि परिस्थितियों के वशीभूत होने की बात करना भीरुता और आत्म-समर्पण से अधिक कुछ नहीं।
मेरी बात को आधार देने वाले जीवंत प्रमाणों की आज सर्वत्र व्याप्तता है। काल के कपाल पर ताल ठोक कर विषम से विषम परिस्थियों को सम बना लेने वालों की यशो-गाथा से सभी कर्म-क्षेत्र सुरभित बने हुए हैं। शारीरिक अपपूर्णता, विकृति और विकारों को पराजित कर विजेता बनने वाले हज़ारों लोग आज प्रेरणा का पुंज बन चुके हैं। कुछ का नाम लिखना शेष के साथ अन्याय होगा। इसलिए किसी का उल्लेख करना उचित नहीं लगता।
वर्तमान में सुर्खियां पाने वाले आत्म-बलियों के आदर्श अतीत के पृष्ठों पर स्वर्णाक्षरों में अपना नाम व कीर्ति-वृत्तांत अंकित कराने वाले लाखों पुरोधा हैं। जिनके जीवन-वृत्त से परिचित होने वालों को तो पारिस्थितिक विवशता की बात करनी ही नहीं चाहिए। किसी गुरुत्तर पद पर रहते हुए तो कदापि नहीं।
कर्म-विहीन कथ्य मेरी प्रवृत्ति में नहीं। मैं एक भुक्तभोगी के रूप में स्व-कथन का पक्षधर रहा हूं। अनुभूत को अभिव्यक्त करना मेरे लेखन का मूल है। मन के दर्पण में स्वयं को देखने के बाद ही कोई निर्णय लेता हूं। निष्कर्ष जो भी पाता हूं, आपके सामने रख देता हूं। इस भरोसे के साथ कि, एक ने भी बात को ग्रहण कर लिया तो लेखन सार्थक हो जाएगा।
निवेदन बस इतना सा करना चाहता हूं कि एक बार अपनी सोच व सामर्थ्य सहित मेरी बात पर विचार अवश्य करें। प्रत्येक कार्य, प्रत्येक चुनौती को सहजता से सहर्ष स्वीकार करें। अस्त-व्यस्त जीवनशैली अपना कर व्यस्तता का प्रलाप बंद करें। समय-प्रबंधन व कार्य-नियोजन को जीवन का आधार बनाएं। व्यर्थ के विषाद स्वतः निर्मूल हो जाएंगे।
स्मरण रखिए कि ईश्वर ने आपको मानव-जीवन किसी उद्देश्य के साथ दिया है। आपको उन उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति करनी ही करनी है। जब जीवन के कथानक का निर्धारक परम्-पिता है, तो स्वयं को दुनिया के रंगमंच का पात्र क्यों न माना जाए? इस प्रश्न का उत्तर कभी अपनी आत्मा से अवश्य मांगें। भरोसा रखें कि उत्तर आएगा, क्योंकि आत्मा में बैठा परमात्मा कभी, किसी प्रश्न पर निरुत्तर नहीं होता। अब यह आपकी आस्था व स्वीकार्यता का विषय है कि आप सच को स्वीकारें या अपने निराधार झूठ के साथ जीने के नाम पर अमोल जीवन का अनादर करें। मात्र श्वसन और धड़कन सहित नाड़ियों के स्पंदन को ही जीवन मान कर।।

■ प्रणय प्रभात ■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 51 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-315💐
💐प्रेम कौतुक-315💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैं उसका ही आईना था जहाँ मोहब्बत वो मेरी थी,तो अंदाजा उसे कह
मैं उसका ही आईना था जहाँ मोहब्बत वो मेरी थी,तो अंदाजा उसे कह
AmanTv Editor In Chief
Birthday wish
Birthday wish
Ankita Patel
किसी भी इंसान के
किसी भी इंसान के
*Author प्रणय प्रभात*
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
दृश्य
दृश्य
Dr. Rajiv
पसोपेश,,,उमेश के हाइकु
पसोपेश,,,उमेश के हाइकु
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
लिखने से रह गये
लिखने से रह गये
Dr fauzia Naseem shad
दादा की मूँछ
दादा की मूँछ
Dr Nisha nandini Bhartiya
धन्य सूर्य मेवाड़ भूमि के
धन्य सूर्य मेवाड़ भूमि के
surenderpal vaidya
आज नहीं तो निश्चय कल
आज नहीं तो निश्चय कल
Satish Srijan
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
Manu Vashistha
हम तो फ़िदा हो गए उनकी आँखे देख कर,
हम तो फ़िदा हो गए उनकी आँखे देख कर,
Vishal babu (vishu)
चलो चलें दूर गगन की ओर
चलो चलें दूर गगन की ओर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
# महुआ के फूल ......
# महुआ के फूल ......
Chinta netam " मन "
"रात का मिलन"
Ekta chitrangini
मजदूर दिवस पर
मजदूर दिवस पर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दास्तां
दास्तां
umesh mehra
सुबह की चाय है इश्क,
सुबह की चाय है इश्क,
Aniruddh Pandey
बहुजन दीवाली
बहुजन दीवाली
Shekhar Chandra Mitra
दोस्ती
दोस्ती
Neeraj Agarwal
नौकरी वाली बीबी
नौकरी वाली बीबी
Rajni kapoor
स्वप्न मन के सभी नित्य खंडित हुए ।
स्वप्न मन के सभी नित्य खंडित हुए ।
Arvind trivedi
रोजगार रोटी मिले,मिले स्नेह सम्मान।
रोजगार रोटी मिले,मिले स्नेह सम्मान।
विमला महरिया मौज
वचन मांग लो, मौन न ओढ़ो
वचन मांग लो, मौन न ओढ़ो
Shiva Awasthi
'विडम्बना'
'विडम्बना'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अंकित के हल्के प्रयोग
अंकित के हल्के प्रयोग
Ms.Ankit Halke jha
होली के त्यौहार पर तीन कुण्डलिया
होली के त्यौहार पर तीन कुण्डलिया
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*यह चिड़ियाँ हैं मस्ती में जो, गाना गाया करती हैं【हिंदी गजल/
*यह चिड़ियाँ हैं मस्ती में जो, गाना गाया करती हैं【हिंदी गजल/
Ravi Prakash
Doob bhi jaye to kya gam hai,
Doob bhi jaye to kya gam hai,
Sakshi Tripathi
Loading...