■ ग़ज़ल / अब मेटी नादानी देख…!

#ग़ज़ल
■ अब मेटी नादानी देख…!
【प्रणय प्रभात】
★ हर सूरत अंजानी देख।
तू घर की वीरानी देख।।
★ हुशियारी दिखला बैठा।
अब मेरी नादानी देख।।
★ अपने ऐब छुपाकर रख।
हर ग़लती बेगानी देख।।
★ चन्दा में चरखे के साथ।
सूत कातत्ती नानी देख।।
★ रूहानी सा लगता जिस्म।
फ़ितरत है रूमानी देख।।
★ बेपरवाही का अंजाम।
सर से ऊपर पानी देख।।
★ दिया जलाने से पहले।
ज़रा हवा तूफ़ानी देख।।
★ हस्ती मान बुलबुले सी।
सारी दुनिया फ़ानी देख।।
【मालवा हेरॉल्ड में प्रकाशित ग़ज़ल】