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11 Jan 2023 · 1 min read

■ क़तआ / मुक्तक

■ आज_के_अशआर :-
“ना ऊंच-नीच से मतलब, ना हश्र की चिंता,
उधर चलेगी हवा जिस तरफ़ को बहती है !
ज़रा सी ढील मिली और खा गई झोंका !
पतंग डोर से बंध कर के कहाँ रहती है ?”
【प्रणय प्रभात】

Language: Hindi
1 Like · 22 Views
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