जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
Tufan ki pahle ki khamoshi ka andesha mujhe hone hi laga th
सोचो यदि रंगों में ऐसी रंगत नहीं होती
अंधेरों में मुझे धकेलकर छीन ली रौशनी मेरी,
दूरियां किसको रास आती हैं
*अभिनंदन हे तर्जनी, तुम पॉंचों में खास (कुंडलिया)*
खुद से मुहब्बत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चारु कात देख दुनियाँ के सोचि रहल छी ठाड़ भेल ,की छल की भऽ गेल
शरद पूर्णिमा की देती हूंँ बधाई, हर घर में खुशियांँ चांँदनी स