Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Dec 2022 · 1 min read

■ आज का विचार

■ बुद्धिमता…
(प्रणय प्रभात)
“मौजूदा समय की कड़वी चुनौतियों की अनदेखी कर मुगालतों में जीना बुद्धिमता नहीं। विवेकशील वो है जो झूठे विशेषणों में उलझ कर पर-निंदक व आत्म-मुग्ध बने रहने के बजाय समय के आह्वान को स्वीकार लेता है। गौरवशाली अतीत की सार्थकता भी तभी है जब आपका वर्तमान बेहतर हो, जो मूलत: भविष्य की बुनियाद भी है।”
स्मरण रहे, पर-निंदा का चाव जहां आपकी साख, ऊर्जा और विश्वस्नीयता के ह्रास का कारण बन सकता है। वहीं आत्म-मुग्धता आपसे आपकी गति, प्रगति और ललक छीन सकती है। बुद्धिमता उक्त दोनों विकारों से सहज व सतत दूरी बनाए रखने में है। यदि चाह जीवन मे यश, प्रतिष्ठा व सफलता की है।

1 Like · 47 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
हर शाखा से फूल तोड़ना ठीक नहीं है
हर शाखा से फूल तोड़ना ठीक नहीं है
कवि दीपक बवेजा
Rap song 【5】
Rap song 【5】
Nishant prakhar
नित्य करते जो व्यायाम ,
नित्य करते जो व्यायाम ,
Kumud Srivastava
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
Subhash Singhai
ऐ,चाँद चमकना छोड़ भी,तेरी चाँदनी मुझे बहुत सताती है,
ऐ,चाँद चमकना छोड़ भी,तेरी चाँदनी मुझे बहुत सताती है,
Vishal babu (vishu)
*शुभकामनाऍं*
*शुभकामनाऍं*
Ravi Prakash
विद्या देती है विनय, शुद्ध  सुघर व्यवहार ।
विद्या देती है विनय, शुद्ध सुघर व्यवहार ।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मिल जाते हैं राहों में वे अकसर ही आजकल।
मिल जाते हैं राहों में वे अकसर ही आजकल।
Prabhu Nath Chaturvedi
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
'अशांत' शेखर
कविता
कविता
Shyam Pandey
तरन्नुम में अल्फ़ाज़ सजते सजाते
तरन्नुम में अल्फ़ाज़ सजते सजाते
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कोरे पन्ने
कोरे पन्ने
seema varma
सेना सर्व धर्म स्थल में
सेना सर्व धर्म स्थल में
Satish Srijan
तेरी यादों की
तेरी यादों की
Dr fauzia Naseem shad
कुछ तो खास है उसमें।
कुछ तो खास है उसमें।
Taj Mohammad
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
ग्रीष्म की तपन
ग्रीष्म की तपन
डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
दर्द: एक ग़म-ख़्वार
दर्द: एक ग़म-ख़्वार
Aditya Prakash
इश्क़ इबादत
इश्क़ इबादत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"कोरोना बम से ज़्यादा दोषी हैं दस्ता,
*Author प्रणय प्रभात*
# महुआ के फूल ......
# महुआ के फूल ......
Chinta netam " मन "
✴️✳️हर्ज़ नहीं है मुख़्तसर मुलाकात पर✳️✴️
✴️✳️हर्ज़ नहीं है मुख़्तसर मुलाकात पर✳️✴️
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
धीरे धीरे बदल रहा
धीरे धीरे बदल रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मूर्दों का देश
मूर्दों का देश
Shekhar Chandra Mitra
चाय जैसा तलब हैं मेरा ,
चाय जैसा तलब हैं मेरा ,
Rohit yadav
समझा होता अगर हमको
समझा होता अगर हमको
gurudeenverma198
तेरी मुस्कराहटों का राज क्या  है
तेरी मुस्कराहटों का राज क्या है
Anil Mishra Prahari
हजार आंधियां आये
हजार आंधियां आये
shabina. Naaz
शहरों से निकल के देखो एहसास हमें फिर होगा !ताजगी सुंदर हवा क
शहरों से निकल के देखो एहसास हमें फिर होगा !ताजगी सुंदर हवा क
DrLakshman Jha Parimal
नववर्ष
नववर्ष
Vandana Namdev
Loading...