वही बस्ती, वही टूटा खिलौना है
लोगों के रिश्मतों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता
तुझे देंगे धरती मां बलिदान अपना
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ज़िंदगी सौंप दी है यूं हमने तेरे हवाले,
- दुनिया भर की समझ है पर दुनियादारी की समझ नही है -
देख बहना ई कैसा हमार आदमी।
धधक रही हृदय में ज्वाला --
* शब्दों की क्या औक़ात ? *
आप और हम जीवन के सच... मांँ और पत्नी
*छाई है छवि राम की, दुनिया में चहुॅं ओर (कुंडलिया)*
मित्र धर्म और मैं / मुसाफिर बैठा
जिन्दगी ने आज फिर रास्ता दिखाया है ।