Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2023 · 1 min read

‼️परिवार संस्था पर ध्यान ज़रूरी हैं‼️

‼️परिवार संस्था पर ध्यान ज़रूरी हैं‼️

अधिकांश लोगों का कथन हैं कि हिंदुस्तान का विकास रॉकेट की तरह हों रही हैं। इस बात पर विश्वास भी किया जा सकता हैं,लेकिन एक खतरे के प्रति लापरवाह हो रहे हैं।वो खतरा परिवार से कही हाथ धो बैठना होगा। इस तरह की गलती कई विकसित देश कर चुके हैं।
परिवारो में सबसे महत्वपूर्ण हैं विवाह नाम की संस्था, इस संस्था में बहुत सारे परिवर्तन हो चुका हैं।
(i) अरेंज मैरिज
(ii) लव मैरिज
(iii) लिव इन रिलेशनशिप

ये तिन के पश्चात अब समलैंगिक विवाह का प्रशन उत्पन हो रही हैं। हिंदुस्तान में विवाह नाम की संस्था का आधार था:- वंशवृद्धि।
यदि मनुष्य का जीवन केवल भौतिक आयामों पर टिक कर चलता रहेगा तो फ़िर वह शरीर किसी जाति का हों मांगे बनी रहेंगी। लेकिन यदि आत्मा की बात की जाएगी तब विवाह का अर्थ हैं:- स्त्री और पुरुष की मिलन से वंशवृद्धि। और तो और परिवार चलता हैं,वंशवृद्धि से ही।

।।अतः इसलिए इस पे धीर-गंभीर लोग विचार करे।।
!!धन्यवाद!!
🌹🙏🙏🙏🌹

Language: Hindi
1 Like · 253 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

❤️ DR ARUN KUMAR SHASTRI ❤️
❤️ DR ARUN KUMAR SHASTRI ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*कमबख़्त इश्क़*
*कमबख़्त इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सोचो तो बहुत कुछ है मौजूद, और कुछ है भी नहीं
सोचो तो बहुत कुछ है मौजूद, और कुछ है भी नहीं
Brijpal Singh
*रंगों का कारोबार*
*रंगों का कारोबार*
Shashank Mishra
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
जो असंभव है वो बात कैसे लिखूँ
जो असंभव है वो बात कैसे लिखूँ
Dr Archana Gupta
नशा तेरी
नशा तेरी
हिमांशु Kulshrestha
महसूस तो होती हैं
महसूस तो होती हैं
शेखर सिंह
"घड़ीसाज"
Dr. Kishan tandon kranti
कविता-सुनहरी सुबह
कविता-सुनहरी सुबह
Nitesh Shah
” मेरी लेखनी “
” मेरी लेखनी “
ज्योति
बारिश की बूंदों ने।
बारिश की बूंदों ने।
Taj Mohammad
*हों पितर जहॉं भी सद्गति की, इच्छा हम आठों याम करें (राधेश्य
*हों पितर जहॉं भी सद्गति की, इच्छा हम आठों याम करें (राधेश्य
Ravi Prakash
कठिन समय आत्म विश्लेषण के लिए होता है,
कठिन समय आत्म विश्लेषण के लिए होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
उदास आंखों का नूर ( पिता की तलाश में प्रतीक्षा रत पुत्री )
उदास आंखों का नूर ( पिता की तलाश में प्रतीक्षा रत पुत्री )
ओनिका सेतिया 'अनु '
सिलसिला ये प्यार का
सिलसिला ये प्यार का
सुशील भारती
3857.💐 *पूर्णिका* 💐
3857.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अंतिम सत्य
अंतिम सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
😡 *प्रसंगवश व्यंग्य* :--
😡 *प्रसंगवश व्यंग्य* :--
*प्रणय प्रभात*
World Dance Day
World Dance Day
Tushar Jagawat
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
अगर मैं / अरुण देव (पूरी कविता...)
अगर मैं / अरुण देव (पूरी कविता...)
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बंदरों का उत्पात
बंदरों का उत्पात
Buddha Prakash
राम जी
राम जी
Shashi Mahajan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कुछ लोग प्रेम देते हैं..
कुछ लोग प्रेम देते हैं..
पूर्वार्थ
भय दिखा कर कोई महान नहीं हो सकता है, हां वो प्रेमपूर्ण होने
भय दिखा कर कोई महान नहीं हो सकता है, हां वो प्रेमपूर्ण होने
Ravikesh Jha
मगर तुम न आए   ....
मगर तुम न आए ....
sushil sarna
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
Adha Deshwal
*संत सर्वोच्च मानक हो जाये*
*संत सर्वोच्च मानक हो जाये*
Mukta Rashmi
Loading...