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11 Sep 2024 · 1 min read

പക്വത.

പക്വത.
**************

“നീ എന്തിനാണ് എപ്പോഴും ഇങ്ങനെ എല്ലാരോടും മിണ്ടിയും ചിരിച്ചും തമാശ പറഞ്ഞും നടക്കുന്നത്. കൊച്ചു കുട്ടികളെപ്പോലെ. പ്രായമിത്രേം ആയില്ലേ ഇനിയെങ്കിലും കുറച്ചു ഗൗരവത്തോടെ പെരുമാറാൻ പഠിച്ചൂടെ ?. പ്രായത്തിനു ചേർന്ന ഒരു പക്വത എന്നാ ഉണ്ടാകുക നിനക്ക് ? ”

അയാൾ ചോദിച്ചു.

ഒടുവിൽ ഒരു ദിവസം വെള്ള പുതച്ചു കിടത്തിയിരുന്ന അവളുടെ മുന്നിൽ നിന്നുകൊണ്ട് അയാൾ ആരും കേൾക്കാതെ ഉള്ളുകൊണ്ട് ചോദിച്ചു.

“നിനക്ക് ഒന്നു ചിരിച്ചൂടെ…?
എന്നോട് ഒന്നുമിണ്ടിക്കൂടെ?
നിന്റെ ഈ കിടപ്പ് കണ്ടിട്ട് എനിക്കു സഹിക്കാൻ കഴിയുന്നില്ല.”

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