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11 Dec 2022 · 1 min read

ਸਾਥੋਂ ਇਬਾਦਤ ਕਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ

ਸਾਥੋਂ ਇਬਾਦਤ ਕਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ।
ਭਟਕਦੀ ਫਿਰਦੀ ਰੂਹ ਏ ਸਾਡੀ
ਸਾਥੋਂ ਹੋਰ ਹੁਣ ਜਰ ਨਹੀ ਹੁੰਦੀ।

ਰੱਬ ਬਣਾ ਬਣਾ ਪੂਜੇ ਨੇ ਬਥੇਰੇ
ਜਿੰਦ ਕਦਮਾਂ ਚ ਧਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ।

ਰੁੱਸਦਾ ਜੇ, ਤਾਂ ਮਨਾ ਮੈ ਲੈਂਦੀ
ਝੋਲੀ ਜਖਮਾਂ ਨਾਲ ਭਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ।

ਠਿੱਲ ਤਾਂ ਪਏ ਕੱਚਿਆਂ ਉੱਤੇ ,ਪਰ
ਇਸ਼ਕ ਨਦੀ ਹੁਣ ਤਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ।

ਸੁਰਿੰਦਰ ਕੋਰ

Language: Punjabi
90 Views
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