मां वाणी के वरद पुत्र हो भारत का उत्कर्ष लिखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं,
एक ऐसा किरदार बनना है मुझे
*बांहों की हिरासत का हकदार है समझा*
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही।
सरपरस्त
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
दोहा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
#राम अभी लौटे नहीं
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
बड़ी अदा से बसा है शहर बनारस का
" चले आना "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
"" *आओ बनें प्रज्ञावान* ""