Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2016 · 1 min read

ज़िन्दगी को मनाओ खुशी की तरह— गज़ल

ज़िन्दगी को मनाओ खुशी की तरह
झेलो’ गम को जरा दिल्लगी की तरह

कुछ इनायते’ मिली कुछ जलालत सही
वक्त आया गया रोशनी की तरह

रोज चलता रहा बोझ ढोता रहा
और तपता रहा दुपहरी की तरह

उसके’ दिल मे तो’ विष ही भरा होता’ है
बात होती मगर चाश्नी की तरह

ज़िन्दगी गांव मे औरतों की भी क्या
मर्द पीटे उसे ओखली की तरह

वादा अच्छे दिनों का कहाँ खो गया
लोग भूखे दुखी भुखमरी की तरह्

गांव के दूध का स्वाद भी याद है
अब न मिट्टी की’ उस काढनी की तरह

वक्त की मार सहते हुये जी लिया
रोज बजता रहा ढोलकी की तरह

जान बच्चे हैं’ मेरी वो ही ज़िन्दगी
वो सहारा मे’रा हैं छडी की तरह्

1 Like · 3 Comments · 617 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
sushil sarna
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
विजय कुमार अग्रवाल
*भैया घोड़ा बहन सवार (बाल कविता)*
*भैया घोड़ा बहन सवार (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ସେହି ଲୋକମାନେ
ସେହି ଲୋକମାନେ
Otteri Selvakumar
किसी की याद मे आँखे नम होना,
किसी की याद मे आँखे नम होना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
शुभ् कामना मंगलकामनाएं
शुभ् कामना मंगलकामनाएं
Mahender Singh
"बिना पहचान के"
Dr. Kishan tandon kranti
बिगड़े हुए मुकद्दर पर मुकदमा चलवा दो...
बिगड़े हुए मुकद्दर पर मुकदमा चलवा दो...
Niharika Verma
ग़ज़ल _ हाले दिल भी खता नहीं होता ।
ग़ज़ल _ हाले दिल भी खता नहीं होता ।
Neelofar Khan
आदरणीय मंच,
आदरणीय मंच,
Mandar Gangal
14, मायका
14, मायका
Dr .Shweta sood 'Madhu'
In present,
In present,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
तुम और बिंदी
तुम और बिंदी
Awadhesh Singh
सच्ची लगन
सच्ची लगन
Krishna Manshi
लपेट कर नक़ाब  हर शक्स रोज आता है ।
लपेट कर नक़ाब हर शक्स रोज आता है ।
Ashwini sharma
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
DrLakshman Jha Parimal
आवारा परिंदा
आवारा परिंदा
साहित्य गौरव
ज़िंदगी जीना सीख जाते हैं ,
ज़िंदगी जीना सीख जाते हैं ,
Dr fauzia Naseem shad
हिंदी दोहे विषय- मंगल
हिंदी दोहे विषय- मंगल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मनभावन
मनभावन
SHAMA PARVEEN
हसरतों की राह में, यूँ न खुद को खोते रहो,
हसरतों की राह में, यूँ न खुद को खोते रहो,
पूर्वार्थ
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
SUNIL kumar
सबने हाथ भी छोड़ दिया
सबने हाथ भी छोड़ दिया
Shweta Soni
"अनैतिक कृत्य" की ज़िम्मेदारी "नैतिक" कैसे हो सकती है प्रधान
*प्रणय*
कविता
कविता
Bodhisatva kastooriya
23/188.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/188.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रेत समुद्र ही रेगिस्तान है और सही राजस्थान यही है।
रेत समुद्र ही रेगिस्तान है और सही राजस्थान यही है।
प्रेमदास वसु सुरेखा
रिश्तों की डोर
रिश्तों की डोर
मनोज कर्ण
रमेशराज के 7 मुक्तक
रमेशराज के 7 मुक्तक
कवि रमेशराज
Loading...