Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2016 · 1 min read

ग़ज़ल- बंजर में जैसे फूल निकलते कभी नहीं

ग़ज़ल- ये स्वप्न…
मापनी- 221 2121 1221 212
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ये स्वप्न मेरे’ स्वप्न हैं’ फलते कभी नहीं।
बंजर में’ जैसै’ फूल निकलते कभी नहीं।।

उपदेश दे रहे हैं’ हमें रोज क्या कहें,
सच्चाइयों की’ राह जो’ चलते कभी नहीं।

माना यहाँ है’ रात कहीं धूप है मगर,
ये टिमटिमा रहे हैं’ जो’ ढलते कभी नहीं

कितनी बड़ी है’ भूल जरा आप सोचिये
चीनी का’ उनको’ रोग टहलते कभी नहीं

जो पाव लड़खड़ाए’ तो’ गिरना है’ सोच लो
ऊँचाइयों की’ ओर फिसलते कभी नहीं

‘आकाश’ हौसलों की’ भले बात लाख हो
पर वक्त के मा’रे तो’ सं’भलते कभी नहीं

– आकाश महेशपुरी
★★★★★★★★★★★★★★★★
नोट- मात्रा पतन के लिए चिह्न (‘) का प्रयोग।

567 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

रोटी
रोटी
Anil Mishra Prahari
*दिल के रोग की दवा क्या है*
*दिल के रोग की दवा क्या है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रास्ते में आएंगी रुकावटें बहुत!!
रास्ते में आएंगी रुकावटें बहुत!!
पूर्वार्थ
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
Atul "Krishn"
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*बाल गीत (पागल हाथी )*
*बाल गीत (पागल हाथी )*
Rituraj shivem verma
फिकर
फिकर
Dipak Kumar "Girja"
23/36.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/36.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पति पत्नी में परस्पर हो प्यार और सम्मान,
पति पत्नी में परस्पर हो प्यार और सम्मान,
ओनिका सेतिया 'अनु '
आरोप प्रत्यारोप
आरोप प्रत्यारोप
Chitra Bisht
बेडी परतंत्रता की 🙏
बेडी परतंत्रता की 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
- मेरे अपनो ने डुबो दी मेरी नैया अब में क्या करू -
- मेरे अपनो ने डुबो दी मेरी नैया अब में क्या करू -
bharat gehlot
अंतर्मन
अंतर्मन
गौरव बाबा
Cyclone Situation
Cyclone Situation
Otteri Selvakumar
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
Harminder Kaur
करे ज़ुदा बातें हरपल जो, मानव वो दीवाना है।
करे ज़ुदा बातें हरपल जो, मानव वो दीवाना है।
आर.एस. 'प्रीतम'
वक्त नहीं
वक्त नहीं
Vandna Thakur
आदमी की आँख
आदमी की आँख
Dr. Kishan tandon kranti
मां सीता की अग्नि परीक्षा ( महिला दिवस)
मां सीता की अग्नि परीक्षा ( महिला दिवस)
Rj Anand Prajapati
कविता
कविता
Nmita Sharma
हर-सम्त देखा तो ख़ुद को बहुत अकेला पाया,
हर-सम्त देखा तो ख़ुद को बहुत अकेला पाया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भय
भय
Rambali Mishra
अब...
अब...
हिमांशु Kulshrestha
बूढ़े भूतों का गाँव
बूढ़े भूतों का गाँव
Vivek Pandey
भावों की पोटली है: पोटली......एहसासों की
भावों की पोटली है: पोटली......एहसासों की
Sudhir srivastava
हैप्पी नाग पंचमी
हैप्पी नाग पंचमी
Ranjeet kumar patre
*क्रम चलता आने-जाने का, जन जग में खाली आते हैं (राधेश्यामी छ
*क्रम चलता आने-जाने का, जन जग में खाली आते हैं (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
रुपेश कुमार
कविता
कविता
Shweta Soni
है जरूरी हो रहे
है जरूरी हो रहे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
Loading...