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4 Aug 2021 · 1 min read

ख़्वाब की तरह

अपनी ख्वाहिशों को मैंने गुलाब की तरह देखा।
तेरे चेहरे को मैने आफ़ताब की तरह देखा।
तुझे देखा है ख्वाबों में अक्सर मिलते हुए,
उस ख़्वाब को भी मैने बस ख़्वाब की तरह देखा।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
Tag: शेर
3 Likes · 2 Comments · 279 Views
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