🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
“शादी के बाद- मिथिला दर्शन” ( संस्मरण )
कभी अपने ही सपने ख़रीद लेना सौदागर बनके,
प्यार का सार है त्याग की भावना
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Janab hm log middle class log hai,
"तेरे लिए.." ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
एक वक्त था जब ज़माना अपना था और तुम अजनबी से, अब देखो ज़माना
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
ह्रदय जब स्वच्छता से ओतप्रोत होगा।
कबीरा गर्व न कीजिये उंचा देखि आवास।
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल