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20 Oct 2022 · 1 min read

हक़ीक़त

आदमी कितना लाचार है ,
सब कुछ हासिल करने पर भी,
कुदरत के हाथो बेज़ार है,
दौलत लुटाकर भी ज़िदगी के दो पल खरीद नही सकता ,
भरसक कोशिश करने पर भी सांसों की टूटती डोर को थाम नही सकता,
शोहरत जो कमाई थी उसने, किसी काम ना
आ सकी ,
मौत भी उसका कोई फ़र्क कर, कुछ भी तवज्जोह दे सकी,
उसे भी आम आदमी की मौत मरना पड़ेगा ,
खाली आया था वो , खाली हाथ ही जाना पड़ेगा,

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 94 Views

Books from Shyam Sundar Subramanian

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