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23 Sep 2016 · 1 min read

हौड़ में – मुक्तक – डी के. निवातिया

क्या मिलेगा दौड़कर तुमको घुड़सवारो सी दौड़ में
भुला दोगे खुद ही को दुनिया की इस अंधी होड़ में
आना जाना कुछ कर जाना यही जीवन नियति है
बेहतर होगा पहचान बना, राहे जिंदगी के मौड़ पे !!

@——डी. के. निवातिया —-@

Language: Hindi
168 Views
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