*हो जिससे भेंट जीवन में, हमारा मित्र बन जाए (हिंदी गजल/ गीतिका)*

*हो जिससे भेंट जीवन में, हमारा मित्र बन जाए (हिंदी गजल/ गीतिका)*
_________________________
1
हो जिससे भेंट जीवन में, हमारा मित्र बन जाए
कला जीवन में कोई काश!, यह हमको भी सिखलाए
2
बसी जादूगरी ऐसी है, कुछ लोगों के हाथों में
जरा छूने से उनके फूल, खिल उठते हैं मुरझाए
3
हुआ मिलना था पहली बार ही उनसे सफर में बस
मगर यह लग रहा वर्षों से, जैसे जानते आए
4
बुरे भी लोग मिल जाते हैं, जीवन में सभी को कुछ
हमारा भाग्य है हमने, सदा अच्छे ही जन पाए
5
निभाना अब हमारे हाथ में है रिश्तेदारी को
विधाता ने रचे संबंध, जो जीवन में जुड़वाए
6
सरल होता है जीवन में, किसी से तोड़ना रिश्ता
किया लेकिन जिन्होंने यह, बहुत जीवन में पछताए
—————————————-
*रचयिता : रवि प्रकाश*
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451