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2 Mar 2018 · 1 min read

बाल मन

जितना कोमल बाल मन, उतना मनहर बोल।
उसकी मीठी बोल से, माँ जाती है डोल।। १

भोले भाले बाल मन, बहुत अधिक नादान ।
सुख दुख का होता नहीं, जहाँ तनिक भी भान।। २

दुनिया के छ: पाँच से, होता है अंजान।
क्या होता अच्छा बुरा,उसे नहीं है ज्ञान।। ३

निश्छल निर्मल बाल मन, सहज सुखद संसार।
बैर भावना से परे, जहाँ छलकता प्यार।। ४

बच्चों के मन में उठे, कितने अधिक सवाल।
माँ उत्तर देते हुए,होती है बेहाल।। ५

आँखों में होती चमक, होठों पे मुस्कान।
बच्चों के मन में बसे, सदा स्वयं भगवान।। ६

मृदुल मृदा सा बाल मन, दो सुंदर आकार।
गढ़ देता कुम्हार जो, निर्मित वही विचार।। ७

नित संजोंता बाल मन,नवल स्वप्न का ढ़ेर।
मछली चलती रेत पर, उड़े गगन में शेर।।८
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

Language: Hindi
Tag: दोहा
258 Views

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