होली है!

प्रीत के रंग में आज रंगने का मन है!
फ़ागुन की मस्ती में मचलने का मन है!!
केसरिया, लाल, पिला हर रंग उड़ने दो आज!
फ़ागुन में कहाँ किसी का संभलने का मन है!!
दोस्त, दुश्मन सब एक दूसरे पे रंग लगा रहे!
नही किसी का आज लड़ने का मन है!!
है शक्कर पापड़ी, भांग मिठाई, केसर दूध, लेकिन!
बिना गुझिया खाये आज किसका रहने को मन है!!
है मस्तों की टोली, फाग गीत, नगाड़ो की थाप!
हर तरफ आज खुशियों को बरसने का मन है!!
फ़ागुन का भी अपना एक अलग स्वैग है!
नई दुल्हन को दूल्हे के लिए संवरने का मन है!!
बच के रहना “अद्वितीय” फ़ागुन है आज!
बुरा न मानो होली है, सबको यही गरजने का मन है!!
स्वरचित/मौलिक ✍️
डॉ. शैलेन्द्र कुमार गुप्ता
“अद्वितीय”
7828506874
छत्तीसगढ़