होते हैं कई ऐसे प्रसंग

होते हैं कई ऐसे प्रसंग
जो छोड़ जाते है मनमें कई बड़े धाव. .!
जिसका रह रहकर आता है जब ख़याल
तब बेचैनी तड़पाती…. होता हैं बुरा हाल..!!
अच्छा हो प्रसंग तो उमंग की लहर
खुशियाँ बिखेरती….और..
हो अगर करुणा सभर तो उदासी गमगीन बढाती..!
मन-मस्तिष्क में छबि जब आकर लेती
तो …होश में भी बेहोशी का आलम
अपनी अदा को फ़ैलाता…!!
फिर…करुणा का वो लम्हां छछेङे है अस्तित्व को
जिससे वेदना का उभरता सागर मचाता तूफ़ान कई..!
क्यों… होता है ऐसा भला.. दर्द न जान सका कोई..!!!!!