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12 May 2024 · 1 min read

है गरीबी खुद ही धोखा और गरीब भी, बदल सके तो वह शहर जाता है।

है गरीबी खुद ही धोखा और गरीब भी, बदल सके तो वह शहर जाता है।
वह बिंदास बेखबर जाता है,
जब इंसान अपने घर जाता है।।
“संजय”

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