हैं सितारे खूब, सूरज दूसरा उगता नहीं।

गज़ल
2122……..2122……..2122……..212
हैं सितारे खूब, सूरज दूसरा उगता नहीं।
जो मिला है प्यार मां से वो कहीं मिलता नहीं।
लाख कोशिश कीजिए पर ये कभी होता नहीं।
टूटकर गिरता है जो वो फूल फिर खिलता नहीं।
या खुदा तेरे जहां में कुछ तो महलों में रहें,
कुछ को सोने के लिए फुटपाथ भी मिलता नहीं।
शायरी का इल्म भी होता नहीं इतना सरल,
गर उला हो भी गया सानी कभी होता नहीं।
देश दुनियां के लिए इंसान गर कुछ कर गया,
आदमी मरता है उसका नाम पर मरता नहीं।
देश में महगाई का आलम हुआ कुछ इस तरह,
भाव जिसका चढ़ गया इक बार फिर गिरता नहीं।
प्रेम कर लो दोस्तो दुनियां में आये हो अगर,
प्रेम ‘प्रेमी’ नाम दुनियां से कभी मिटता नहीं।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी