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15 Jan 2022 · 1 min read

हे सर्द शीत

हे सर्द शीत , इतना कहर न बरपाओ
कांप रहा है तन , कुछ नम्र पड़ जाओ

देख जरा काला धुन्ध छा रहा है नभ में
सबने वूलन चादर ओढ़ ली है जग मेंं

हे सर्द शीत , रूह कँपा रहे हो हमारी
ठंड के कारण बुजुर्ग परेशान है भारी

फुटपाथ पर सोया है राहगीर बेचारा
साधन कोई न पास ,इसलिए वो हारा

Language: Hindi
Tag: कविता
76 Likes · 420 Views

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