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8 Apr 2020 · 1 min read

हे मानव

भीड़ सड़क पर पशुओं की
करती सिंहनाद प्रतिपल
सुनते क्यों नहीं बात जगत की
बचे नही क्या आज नयन-जल।
आज भीड़ सड़कों पर अपनी
अपनी मंज़िल अपना राग
अपनी डफली अलग बजाएँ
कौन प्रेम कैसा अनुराग?
हम सड़कों पर आज घूमकर
अनुशासन सिखलाते हैं
घर के अंदर तुम क्यों ना रहते
जब हम सड़कों पर आते हैं।
हमने जब खुद को बदल लिया
बदलो बदलो तुम हे मानव
सीखो अनुशासन तुम हमसे
हे मानव! जय जय मानव!
(कोरोना के संदर्भ में)

Language: Hindi
Tag: कविता
368 Views

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