हे मानव मत हो तू परेशान

हे मानव मत हो तू परेशान।
ऐसे इन दुःखों को देखकर।।
आयेगा सुख का वह पल भी।
संघर्ष तेरा यह देखकर।।
हे मानव मत—————-।।
यह दुःख और मुसीबत ही तो।
कसौटी है इस जीवन की।।
इन पर ही होकर विजय।
लिख विजयगाथा जीवन की।।
हार जायेगी मुसीबतें सब।
यह हिम्मत तेरी देखकर।।
हे मानव मत ———————।।
आदत है दुनियावालों की।
औरों के दुःख पर हँसना।।
अपने पाप और कमियों को।
पर्दे में छुपाकर रखना।।
सलाम करेगी यही दुनिया।
तेरे पुण्य कर्मों को देखकर।।
हे मानव मत—————।।
ऑंसू बहा मत मंजिल में।
ऐसे दुःख- काँटें देखकर।।
मत हो निराश और उदास।
खुद को अकेला देखकर।।
होगा खुशियों से आबाद तू।
इन दुःख-काँटों से ही लड़कर।।
हे मानव मत—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)