Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jun 2019 · 1 min read

हे प्रिये

परी सी सुन्दर चाँद सी शीतल,
सौम्य चंचल अप्सरा हो।
मेरे मन की एक पहेली,
सरल साश्वत सहचरा हो।

कल्पना हो स्वप्न की सी,
भोर का कोहरा घना हो।
जो भी हो जैसी भी हो तुम,
मेरे मन की अक्सरा हो।

मौत से भी जो न सिमटे,
वो ह्रदय का दायरा हो।
मैं जो टूटा तुम भी बिखरो,
कंठ मुक्तक की शिरा हो।

इस ह्रदय की वेदना की,
तुम अनौखी सी दवा हो।
चाहतों से जन्म देती,
आह की भस्मासुरा हो।

ज़िन्दगी का जाम तुम,
और मौत का पैगाम भी हो।
पुरुष की पूरक रगों में,
शक्ति का संचार भी हो।

हे प्रिये क्यों पुरुष के,
मन की व्यथा से खेलती हो।
खुद जिओ स्वच्छंद,
उसकी धड़कनें क्यों रोकती हो।

पुरुष से ही पूर्ण जब,
स्त्री का हर श्रृंगार हो।
प्रेम के पावन क्षणों का,
स्वप्न भी साकार हो।

क्यों कलह के बीज पर,
नफरत का पानी डालते हो।
क्यों सुलग बर्बाद हों,
एक दूसरे के प्राण हो।

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 474 Views
You may also like:
*नदी झील झरने पर्वत, सारा संसार तुम्हारा है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*नदी झील झरने पर्वत, सारा संसार तुम्हारा है (हिंदी गजल/...
Ravi Prakash
लौह पुरुष -सरदार कथा काव्य
लौह पुरुष -सरदार कथा काव्य
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बाल हैं सौंदर्य मनुज का, सबके मन को भाते हैं।
बाल हैं सौंदर्य मनुज का, सबके मन को भाते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*,मकर संक्रांति*
*,मकर संक्रांति*
Shashi kala vyas
Your heart is a Queen who runs by gesture of your mindset !
Your heart is a Queen who runs by gesture of...
Nupur Pathak
बोली है अनमोल
बोली है अनमोल
जगदीश लववंशी
दुख आधे तो पस्त
दुख आधे तो पस्त
RAMESH SHARMA
Sharminda kyu hai mujhse tu aye jindagi,
Sharminda kyu hai mujhse tu aye jindagi,
Sakshi Tripathi
बेटियां
बेटियां
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जबकि मैं इस कोशिश में नहीं हूँ
जबकि मैं इस कोशिश में नहीं हूँ
gurudeenverma198
कमज़ोर सा एक लम्हा
कमज़ोर सा एक लम्हा
Surinder blackpen
शब्द उनके बहुत नुकीले हैं
शब्द उनके बहुत नुकीले हैं
Dr Archana Gupta
बहुत ऊँची नही होती है उड़ान दूसरों के आसमाँ की
बहुत ऊँची नही होती है उड़ान दूसरों के आसमाँ की
'अशांत' शेखर
एक वीरांगना का अन्त !
एक वीरांगना का अन्त !
Prabhudayal Raniwal
यह जो तुम बांधती हो पैरों में अपने काला धागा ,
यह जो तुम बांधती हो पैरों में अपने काला धागा...
श्याम सिंह बिष्ट
" हैं अगर इंसान तो
*Author प्रणय प्रभात*
आखिर किसान हूँ
आखिर किसान हूँ
Dr.S.P. Gautam
चिलचिलती धूप
चिलचिलती धूप
Nishant prakhar
💐प्रेम कौतुक-297💐
💐प्रेम कौतुक-297💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रहे इहाँ जब छोटकी रेल
रहे इहाँ जब छोटकी रेल
आकाश महेशपुरी
चुहिया रानी
चुहिया रानी
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
वो इश्क जो कभी किसी ने न किया होगा
वो इश्क जो कभी किसी ने न किया होगा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
खानदानी जागीर
खानदानी जागीर
Shekhar Chandra Mitra
कविता का जन्म
कविता का जन्म
Dr Rajiv
My Expressions
My Expressions
Shyam Sundar Subramanian
*
*"काँच की चूड़ियाँ"* *रक्षाबन्धन* कहानी लेखक: राधाकिसन मूंदड़ा, सूरत।
radhakishan Mundhra
तुम्हारी यादें
तुम्हारी यादें
Dr. Sunita Singh
तेरे होकर भी।
तेरे होकर भी।
Taj Mohammad
क्या ख़ूब हसीं तुझको क़ुदरत ने बनाया है
क्या ख़ूब हसीं तुझको क़ुदरत ने बनाया है
Irshad Aatif
अब कितना कुछ और सहा जाए-
अब कितना कुछ और सहा जाए-
डी. के. निवातिया
Loading...