हिदायत
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यक़ीन करना फिर भी फ़ासला रखना
मिलना सभी से पर एक दायरा रखना
नहीं दोस्ती, चलो तो दुश्मनी भी नहीं
मिलें फिर कभी तो कुछ क़ायदा रखना
नहीं रहते कई रिश्ते समय के साथ
जो अच्छा गुज़रा, याद जायदा रखना
बंट गये सामान , “सागरी” जब जुदा हुए
ख़ाली जगहें बचीं जो,क्यों ख़ामखा रखना
डा राजीव “सागरी”