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14 Sep 2016 · 1 min read

हिंदी मातृ भाषा

हिंदुस्तान वतन है मेरा और हिंदी मेरी मातृ भाषा,
गुणगान करें सब हिंदी का बस यही है अभिलाषा।

जन जन को आपस में जोड़े रखती है सरलता से,
दिलों में मोहब्बत भर देती, है ये प्रेम की परिभाषा।

यह भी सच है शब्दों से इसके अपनत्व झलकता है,
विश्व पटल पर चमके ये, जन जन की है यही आशा।

और भाषाओं को तुम आजमाकर देख लेना बेशक,
केवल हिंदी ही शांत करती है यहाँ ज्ञान की पिपासा।

देखना नतमस्तक होंगी दूसरी भाषाएँ हिंदी के आगे,
वो दिन अब दूर नहीं है जब होगा ये अजब तमाशा।

दुर्दशा हुई है इसकी हम हिंदुस्तानियों के कारण ही,
अंग्रेजी के लिए हिंदी का भूले यूँ हुई थोड़ी निराशा।

वक़्त ने फिर करवट बदल ली है आज देखो जरा,
अब उलटा पड़ रहा है दूसरी भाषाओं का हर पासा।

आज सुलक्षणा वैज्ञानिक भी जान गये महत्व को,
हिंदी और संस्कृत को आज करता है सलाम नासा।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

Language: Hindi
346 Views
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