Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2021 · 2 min read

हां ! हमें दुनियादारी नहीं आती ।

इस दुनियादारी से अब तक अंजान रहे हम ,
समझ न सके इसकी रवायत कभी भी हम।

गधे को गधा नहीं कहना ,उसे बाप समझो ,
कहना भी पड़ेगा अगर निकलवाना है काम।

दिल में नफरत और गुस्सा भरा हो बेशक ,
मगर करना ही पड़ेगा प्यार भरा सलाम ।

दिखावे का ही जमाना है आज कल जनाब !
हकीकत का तो कहीं भी रह न गया नाम ।

किसी के प्यार को अगर हम हकीकत समझे ,
जिंदगी में तो सदा धोखा ही खायेंगे न हम ।

दो पल के प्यार में बेशुमार खुदगर्जी शामिल है,
मतलब निकल गया तो ” भई कौन हो तुम ?”

आज तोहफे दिए जा रहे हैं इसे तिजारत समझो,
ये देना लेना आज के रिश्तों में होता है सरे आम।

आज कल रिश्तों की अहमियत ही क्या रह गई ?
इनको दिल से निभाने के लिए वक्त रह गया कम।

मिल बैठकर अपना हाल ए दिल बांटने वाले यार ,
अब न रहे जिन्हे कहते थे हमराज और हमदम।

अब जो कहना चाहेगा भी अपने दिल का हाल ,
उसे नमक मिर्च लगाकर बना देंगे चर्चा ए आम ।

किसी की मैय्यत पर अफसोस करने जा रहे वो ,
गुफ्तगू करने में मशगूल है नहीं कोई रंजो गम ।

इंसान तो इंसान ,खुदा के साथ भी करें तिजारत,
अपनी ढेरों मन्नतों के बदले सौदा करती आवाम ।

हमारी तबियत और फितरत रही खुली किताब सी,
हमें नहीं आया फरेब उम्र यूं ही गुजर गई तमाम।

रफीक कहते रहे ये फन दुनियादारी का तुम सीखो,
नामुमकिन है क्या जमीर की सुनना बंद कर दें हम ?

उम्र भर ज़मीर की सुनते आए है आगे भी सुनते रहेंगे,
भले ही “अनु” डगर कांटो की हो ,इसी पर चलेंगे हम।

3 Likes · 2 Comments · 701 Views

Books from ओनिका सेतिया 'अनु '

You may also like:
एक प्रश्न
एक प्रश्न
komalagrawal750
हो गया तुझसे, मुझे प्यार खुदा जाने क्यों।
हो गया तुझसे, मुझे प्यार खुदा जाने क्यों।
सत्य कुमार प्रेमी
मुक़द्दर क्या है अपना फर्क नहीं पड़ता,
मुक़द्दर क्या है अपना फर्क नहीं पड़ता,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
मुबारक हो जन्मदिवस
मुबारक हो जन्मदिवस
मानक लाल"मनु"
:: English :::
:: English :::
Aksharjeet Ingole
जिसकी फितरत वक़्त ने, बदल दी थी कभी, वो हौसला अब क़िस्मत, से टकराने लगा है।
जिसकी फितरत वक़्त ने, बदल दी थी कभी, वो हौसला...
Manisha Manjari
बेवफा मैं कहूँ कैसे उसको बता,
बेवफा मैं कहूँ कैसे उसको बता,
Arvind trivedi
■ कृतज्ञ राष्ट्र...
■ कृतज्ञ राष्ट्र...
*Author प्रणय प्रभात*
*यह अराजकता हमें( गीत )*
*यह अराजकता हमें( गीत )*
Ravi Prakash
चांदनी की बरसात के साये में चलते
चांदनी की बरसात के साये में चलते
Dr Rajiv
देवदासी
देवदासी
Shekhar Chandra Mitra
💥सच कहा तो बुरा मान गए 💥
💥सच कहा तो बुरा मान गए 💥
Khedu Bharti "Satyesh"
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
एक अबोध बालक
एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से
प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से
Pt. Brajesh Kumar Nayak
तांका
तांका
Ajay Chakwate *अजेय*
"मैं" का मैदान बहुत विस्तृत होता है , जिसमें अहम...
Seema Verma
जिंदगी तुमसे जीना सीखा
जिंदगी तुमसे जीना सीखा
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
एक यह भय जिससे
एक यह भय जिससे
gurudeenverma198
मुक्तक।
मुक्तक।
Pankaj sharma Tarun
चार कदम चलने को मिल जाता है जमाना
चार कदम चलने को मिल जाता है जमाना
कवि दीपक बवेजा
कहमुकरी
कहमुकरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
'संज्ञा'
'संज्ञा'
पंकज कुमार कर्ण
" अभिव्यक्ति "
DrLakshman Jha Parimal
✍️दुनियां को यार फिदा कर...
✍️दुनियां को यार फिदा कर...
'अशांत' शेखर
💐प्रेम कौतुक-463💐
💐प्रेम कौतुक-463💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
!!महात्मा!!
!!महात्मा!!
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
हम हक़ीक़त को
हम हक़ीक़त को
Dr fauzia Naseem shad
चंद अल्फाज़।
चंद अल्फाज़।
Taj Mohammad
नदिया रोये....
नदिया रोये....
Ashok deep
Loading...