हसीन तेरी सूरत से मुझको मतलब क्या है

हसीन तेरी सूरत से,मुझको मतलब क्या है।
इन हसीनाओं का, मैं दीवाना नहीं हूँ।।
नहीं तुझमें वो खूबी, मेरे जो काबिल हो।
तेरा भी यारा मैं, सच में आशिक नहीं हूँ।।
हसीन तेरी सूरत से———————-।।
हसीनाओं को मैंने, यहाँ सच ऐसे देखा है।
बदलती है जो आशिक अपने हर एक पल में।।
ऐसी सूरत से मुझको बहुत ही नफरत है।
नहीं है इनके लिए प्यार कुछ भी मेरे दिल में।।
मर्यादा होती नहीं है कुछ भी इन हुर्रों में।
इनकी अदाओं का मैं शौकीन नहीं हूँ।।
हसीन तेरी सूरत से———————।।
करुँ कैसे मैं मोहब्बत तुमसे, तुम ही बताओ।
जुड़े नहीं है तुम्हारे खयाल, सच में जमीं से।।
खेला है तुमने मेरे दिल से, खिलौने की तरहां।
मेरी बदनामी हुई है, हमेशा ही यारा तुमसे।।
महलों-दौलत की रही है, हमेशा प्यास तुम्हारी।
तुम्हारी दोस्ती का यारा,मैं मोहताज नहीं हूँ।।
हसीन तेरी सूरत से———————-।।
नहीं है मुझमें सच में, कमी ऐसी भी कोई।
जिसके लिए गुलामी मैं, यारा जो तेरी करुँ।।
तुमको अभिमान बहुत है,तुम्हारी दौलत का।
मगर दौलत के लिए मैं, तारीफ क्यों तेरी करुँ।।
जान ले तू भी यह अब, मैं भी हूँ जी आजाद।
किसी भी तरहां तुमसे, आबाद मैं कम नहीं हूँ।।
हसीन तेरी सूरत से————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)